बाराबंकी में रहने वाले महेन्द्र प्रताप के ये हाथ नेशनल लेवल तक तीरंदाजी में निशाना लगा चुके हैं और ढेरों पदक जीत चुके हैं, लेकिन पिछले 1 साल से जारी कोरोना काल ने इस तीरंदाज को चारों खाने चित कर रखा है. तीरंदाजी के बड़े खिलाड़ी रहे और कई बार नेशनल खेल चुके महेंद्र प्रताप बाराबंकी में साल भर पहले तक KD Singh स्टेडियम में तीरंदाजी के कोच थे , उनकी नियुक्ति खेल विभाग ने संविदा पर की थी और उन्हें 20 से 25 हज़ार रुपए महीना मिलते थे, लेकिन कोरोना की वजह से साल भर से भी ज्यादा समय से सभी खेल गतिविधियां ठप हुई तो खेल विभाग के आलाधिकारियों ने संविदा पर तैनात सभी कोचेज को घर बैठने का आदेश दे दिया और सैलरी भी बंद कर दी, अब महेंद्र घर पर परचून की छोटी दुकान चलाते हैं और समोसे बेचते हैं, लेकिन इस छोटे से मोहल्ले में दिन के 100 रुपए भी मुश्किल से कमाई हो पाती है.
वही संजीव गुप्ता तलवार बाजी के कोच हैं, इंडियन मिलिट्री अकादमी में भी जवानों को तलवारबाजी सिखा चुके हैं. लेकिन अब कोरोना के मुश्किल दौर ने उन्हें बढ़ई का काम सीखने को मजबूर कर दिया है, नेशनल लेवल पर कई पदक जीत चुके संजीव भी लखनऊ स्टेडियम में संविदा पर नियुक्त कोच थे, लेकिन साल भर से उनकी जॉब खत्म है, अब इंतज़ार है कोरोना खत्म होने का और खेल गतिविधियों के फिर से शुरू होने का, तब तक कारपेंटर का काम करके ही संजीव परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में 400 से ज्यादा संविदा पर नियुक्त कोच थे, जिन्हें खेल विभाग ने कोरोना काल में घर पर बैठा दिया है, खेल विभाग के नियमित कोचेज को तो बिना काम के मोटी सैलरी मिल रही है, लेकिन कम सैलरी वाले संविदा कोचेज को खेल विभाग ने इस मुश्किल समय में भुला दिया है.
HIGHLIGHTS
- बाराबंकी में रहने वाले नेशनल लेवल के तीरंदाज महेन्द्र प्रताप के हाथ समोसे बेच रहे है
- संजीव गुप्ता जो तलवार बाजी के कोच है उन्हें कारपेंटर का काम करना पङ रहा है
- उत्तर प्रदेश के खेल विभाग ने इस मुश्किल समय में संविदा कोचेज को भुला दिया
Source : News Nation Bureau