पूरी दुनिया मौजूदा समय में कोरोना वायरस की जद में आ चुकी है. शायद ही कोई देश इस महामारी के चंगुल से बचा हो, भारत में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 11 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है. वहीं अगर पूरी दुनिया की बात करें तो यह आंकड़ा एक करोड़ चालीस लाख से ज्यादा जा चुका है. इस गंभीर बीमारी के वायरस से बचने के लिए अब दुनिया भर के लोगों में एक ही उम्मीद बची है वो है कोरोना वैक्सीन. आज पूरी दुनिया का हर एक नागरिक का यही सवाल है कि आखिर कोरोना की वैक्सीन कब आएगी. भारत में कोरोना वैक्सीन से जुड़ी बड़ी खबर दिल्ली एम्स से है. दिल्ली एम्स सहित देश के 12 एम्स में आज से कोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल होने जा रहा है. 100 लोगों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा. कोरोना वायरस वैक्सीन का भारत में अब तक का सबसे बड़ा मानवीय परीक्षण होगा.
कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन पर जल्दी ही आपको खुशखबरी मिलने वाली है, क्योंकि देश के 12 एम्स संस्थानों में इस वैक्सीन पर मानव परीक्षण का काम सोमवारी से शुरू हो गया है. आपको बता दें कि दिल्ली के एम्स के अलावा इस वैक्सीन के परीक्षण का काम देश के पटना एम्स, हरियाणा के रोहतक पीजीआई सहित 9 अन्य संस्थानों में भी वैक्सीन परीक्षण का काम जारी है. स्वदेशी कोरोना वायरस पर सबसे बड़ा परीक्षण दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सोमवार से शुरू हुआ है.
हरियाणा और पटना में वैक्सीन टेस्टिंग के लिए चुने गए हैं वॉलिंटियर्स
आपको बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए किया जाने वाला कोरोना वैक्सीन का ये परीक्षण कुल 375 लोगों पर किया जाना है. इनमें 100 वॉलिटियर पर परीक्षण होगा. वहीं पटना के एम्स 10 वॉलिंटियर्स को ये वैक्सीन दी गई है. पटना एम्स में वैक्सीन परीक्षण में शामिल किसी भी भी वॉलिंटियर में कोई साइड इफेक्ट होने की जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है. आपको बता दें कि इसके पहले हरियाणा में रोहतक के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में भी कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है. यहां डाक्टरों ने तीन वॉलिंटियर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी है.
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ऐसे होता है कोरोना वैक्सीन का मानवीय परीक्षण
सबसे पहले कोरोना वैक्सीन परीक्षण के लिए लोगों को इसकी जानकारी दी जाती है.
पूरी जानकारी मिलने के बाद जो भी अपनी इच्छा से इस टेस्ट में शामिल होना चाहता है उस पर परीक्षण किया जाता है
यहां इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि सैंपलिंग वाला व्यक्ति उस बीमारी से संक्रमित ना हो जिस बीमारी का परीक्षण किया जाना है.
वैक्सीन टेस्टिंग के लिए चुने गए वॉलिंटियर्स को पूरी तरह से स्वस्थ होना चाहिए.
वैक्सीन टेस्टिंग के लिए चुने गए वॉलिंटियर्स को मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना चाहिए.
परीक्षण के दौरान कई नियमों का पालन करना होता है जिसकी जानकारी पहले से वॉलिंटियर को दी जाती है.
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जानिए वैक्सीन पर क्या कहते हैं एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria AIIMS Director) ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि फेज़ 1 वैक्सीन ट्रायल 18-55 साल के हेल्दी लोग जिन्हें कोई को-मोरबिडिटी नहीं है उन पर किया जाएगा. ट्रायल के लिए कुल सैंपल 1125 लिया गया है जिसमें से 375 स्वस्थ्य लोगों पर पहले फेज़ में और 12-65 साल के 750 लोगों पर दूसरे फेज़ में ट्रायल किया जाएगा.