कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए भारत में वैक्सीनेशन का कार्य 'युद्ध स्तर' पर हो रहा है. 16 जनवरी से देश में टीकाकरण अभियान शुरु होना है. ऐसे में कोरोना वैक्सीन की डोज के सभी राज्यों में पहुंचाया जा रहा है. मंगलवार को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की 'कोविशिल्ड' वैक्सीन देश के करीब 13 शहरों में पहुंचाई गई है और अब भारत बायोटेक ने भी अपनी कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन' की भी डिलीवरी देशभर में शुरू कर दी है.
यह भी पढ़ें: दुनिया में 'मेड इन इंडिया' वैक्सीन का डंका, ब्राजील का COVAXIN के लिए भारत बायोटेक से करार
भारत बायोटेक ने बुधवार अपनी कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सिन' पहली खेप को आज दिल्ली के लिए भेजा है. आज सुबह भारत बायोटेक द्वारा 'Covaxin' की पहली खेप हैदराबाद से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची. जहां से इस वैक्सीन को हरियाणा के कुरुक्षेत्र के लिए रवाना कर दिया गया. कोवैक्सिन की पहली खेप में तीन बड़े डिब्बे हैं, जिनका वजन 80.5 किलोग्राम है. भारत बायोटेक दिल्ली के अलावा बेंगलुरु, चेन्नई, पटना, जयपुर और लखनऊ के लिए अपनी वैक्सीन भेजने वाला रहा है.
इससे पहले मंगलवार को देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने से कुछ दिन पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 200 और 206 रुपये प्रति खुराक (डोज) की लागत से क्रमश: 1.1 करोड़ कोविशिल्ड और 55 लाख कोवैक्सीन के टीके खरीदे गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कोविशिल्ड वैक्सीन की 110 लाख (1.1 करोड़) खुराक को करों (टैक्स) को छोड़कर 200 रुपये प्रति खुराक की लागत से भारत के सीरम इंस्टीट्यूट से खरीदा जा रही है. भारत बायोटेक से कोवैक्सीन की कुल 55 लाख खुराकें खरीदी जा रही हैं.
यह भी पढ़ें: सावधान! कोरोना वैक्सीन के लिए आया लिंक आपको बना सकता है कंगाल
उल्लेखनीय है कि देश में एक साथ दो कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है. जिनमें से एक वैक्सीन कोविशिल्ड को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने निर्मित किया है. जबकि कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है. इसे भारत बायोटेक ने विकसित और निर्मित किया है. टीकाकरण कार्यक्रम के पहले फेस में स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी अनुमानित संख्या तकरीबन 3 करोड़ रुपये है. इसके बाद 50 साल से ऊपर की आयु वाले गंभीर बीमारियों के शिकार लोगों को टीका लगाया जाएगा, जिनकी अनुमानित संख्या 27 करोड़ के आसपास है.