कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए इस वक्त वैक्सीन की एक मात्र हथियार है. कोरोना के टीके को लेकर तमाम तरह की भ्रम और अफवाहें फैली हुई हैं. बहुत से लोग वैक्सीन नहीं लेने से कतरा रहे हैं और तमाम तरह के बहाने बनाते हैं. साथ में तमाम अफवाहों का जिक्र करते हैं. इस बीच एक अफवाह यह भी फैल रही है कि कोरोना टीका लेने के बाद बच्चे पैदा नहीं कर सकेंगे यानी वैक्सीन से बांझपन होता है. हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इन अफवाहों को खारिज कर दिया है और कहा कि कोविड के टीके बांझपन का कारण नहीं बनते हैं.
क्या वैक्सीन से प्रजनन क्षमता पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
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राष्ट्रीय टीकाकरण परामर्श समूह (एटीएजीआई) के कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा कि जब पोलियो वैक्सीन आई थी और भारत तथा दुनिया के अन्य भागों में दी जा रही थी, तब उस समय भी ऐसी अफवाह फैली थी कि जिन बच्चों को पोलियो दी जा रही है, आगे चलकर उन बच्चों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इस तरह की गलत सूचना एंटी-वैक्सीन लॉबी फैलाती है.
उन्होंने कहा कि हमें यह जानना चाहिए कि सभी वैक्सीनों को कड़े वैज्ञानिक अनुसंधान से गुजरना पड़ता है. किसी भी वैक्सीन में इस तरह का कोई बुरा असर नहीं होता. डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा, 'मैं सबको पूरी तरह आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस तरह का कुप्रचार लोगों में गलतफहमी पैदा करता है. हमारा मुख्य ध्यान खुद को कोरोना वायरस से बचाना है, अपने परिवार और समाज को बचाना है. लिहाजा, सबको आगे बढ़कर टीका लगवाना चाहिए.'
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वैक्सीन के साइड इफैक्ट को लेकर चल रही अफवाहों ने डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा कि कोविड टीका लगवाने के बाद ज्यादातर लोगों में कोई बुरा असर नजर नहीं आता, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वैक्सीन असरदार नहीं है. सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत लोगों को टीका लगवाने के बाद बुखार आ सकता है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को पहली डोज लेने के बाद बुखार आ जाता है और दूसरी डोज के बाद कुछ नहीं होता. इसी तरह कुछ लोगों को पहली डोज के बाद कुछ नहीं होता, लेकिन दूसरी डोज के बाद बुखार आ जाता है. यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है और इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना खासा मुश्किल है.
उन्होंने कहा कि हम सब यह मजबूती से मानते हैं कि भारत में उपलब्ध कोविड-19 वैक्सीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं. मैं सबको आश्वस्त करता हूं कि कि सभी वैक्सीनों का कड़ा परीक्षण किया गया है, जिसमें क्लीनिकल ट्रायल शामिल हैं. इन परीक्षणों को पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त है. जहां तक टीके के बुरे असर (साइड-इफेक्ट) का सवाल है, तो सभी वैक्सीनों में हल्का-फुल्का खराब असर पड़ता है. इसमें हल्का बुखार, थकान, सूई लगाने वाली जगह पर दर्ज आदि, जो एक-दो दिन में ठीक हो जाता है.
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टीके के बाद संक्रमित होने पर एटीएजीआई के कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा कि यदि किसी टीके की प्रभावशीलता 80 प्रतिशत है, तो टीकाकरण वाले 20 प्रतिशत लोग हल्के कोविड से संक्रमित हो सकते हैं. भारत में उपलब्ध टीके वायरस के प्रसार को कम करने में सक्षम हैं. अरोड़ा ने कहा कि यदि 60-70 प्रतिशत लोगों को टीका लगाया जाता है, तो वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन कोविड-19 रोग की संभावना को 80 प्रतिशत कम कर देती है. संक्रमण और रोग में फर्क होता है. टीका लगवाने के बाद गंभीर रूप से बीमार होने की बहुत कम संभावना होती है, जबकि मृत्यु की संभावना नगण्य हो जाती है.
HIGHLIGHTS
- कोरोना वैक्सीन पर लोगों के बीच भ्रम
- वैक्सीन पर अफवाहें भी तेजी से फैल रहीं
- अफवाहों पर स्वास्थ्य मंत्रालय का जवाब