कश्मीर (Kashmir) में सुरक्षा बलों सहित पूरा प्रशासन कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी से निपटने में लगा हुआ है, वहीं असामाजिक तत्व अफवाहें और फर्जी खबरें (Fake News) फैलाने में लगे हुए हैं. एक शीर्ष खुफिया अधिकारी के मुताबिक इस तरह की शरारत करने से समाज को मदद नहीं मिलेगी, बल्कि अफवाह फैलाने का मुख्य उद्देश्य ही ऐसा भटकाव पैदा करना है ताकि कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़े. इस तरह की असामाजिक गतिविधियां केवल आम आदमी की समस्याओं को बढ़ाती हैं. हम मानते हैं कि अफवाह फैलाने वालों का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा बलों का ध्यान महामारी विरोधी गतिविधियों से हटाना है.
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अफवाहें आगे हैं सच्ची खबरों से
जाहिर है यह समझना मुश्किल नहीं है कि ऐसे समय में अफवाह फैलाना न केवल दंडनीय अपराध है, बल्कि समाज के खिलाफ भी एक अपराध है. वैसे भी यहां अफवाहें हमेशा वास्तविक खबरों से आगे ही रही हैं. लोगों को विश्वास था कि पीर पंजाल के पहाड़ों पर दुनिया खत्म हो जाएगी. अब यहां नई अफवाह फैलाई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 24 घंटे के भीतर जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट बहाल करने की सलाह दी है. इतना ही नहीं सोशल मीडिया वेबसाइट के माध्यम से इसका एक नकली दस्तावेज भी प्रसारित किया जा रहा है. यह शीर्ष अदालत द्वारा जारी किए जाने वाले असली दस्तावेज की तरह दिखता है.
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साइबर सेल ने दर्ज किया मामला
स्थानीय पुलिस की साइबर सेल ने इस घटना को लेकर एक मामला दर्ज किया है और वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अफवाह फैलाने वालों की आईपी पहचान आदि का पता लगाया लिया गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार किया जाएगा, जो इस मुश्किल समय में ऐसी फर्जी खबरें फैला रहे हैं.' गुरुवार के फर्जी आदेश से पहले भी, जालसाजों ने इस केंद्र शासित प्रदेश के गृह विभाग के नाम पर 4 जी इंटरनेट बहाली के कथित जाली आदेशों को प्रसारित किया था. इसे लेकर बार-बार अधिकारियों इंकार करना पड़ा था कि इस तरह के आदेश कभी भी नहीं दिए गए थे.
HIGHLIGHTS
- कश्मीर में असामाजिक तत्व अफवाहें और फर्जी खबरें फैलाने में लगे.
- उद्देश्य सुरक्षा बलों का ध्यान महामारी विरोधी गतिविधियों से हटाना.
- पुलिस के साइबर सेल ने झूठी खबरों को लेकर मामला दर्ज किया.