महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा चुनाव के बाद सूबे में सरकार के गठन के मसले पर बीजेपी और शिवसेना (Shivsena) के अलग हुए रास्ते हर गुजरते दिन के साथ कंटीली राहों में तब्दील होते जा रहे हैं. भले ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर सेना ने केंद्र की मोदी सरकार का साथ दिया हो, लेकिन अन्य मसलों पर शिवसेना ने केंद्र सरकार पर हमला करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया है. अब कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण पर सांसदों के वेतन भत्ते में कटौती समेत एमपीलेड की राशि के मसले पर शिवसेना ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' की संपादकीय में इस पर सवाल खड़े करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के काला धन पर दिए गए बयान को आधार बनाते हुए महाराष्ट्र के लिए और धन की मांग की है.
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काला धन को लेकर साधा निशाना
'सामना' की संपादकीय में लिखा है छह-सात साल पहले देश में इतना पैसा था कि सरकार जनता के खाते में 15-15 लाख जोड़ने की बात कह रही थी. विदेशों में 70,000 करोड़ रुपए का काला धन भारत लाने की तैयारी चल रही थी. वह धन अभी भी लाया जा सकता है और उसके बल पर कोरोना से लड़ सकते हैं, लेकिन सरकार ने मौजूदा सांसद के वेतन, भत्ते और पेंशन में ही 30 फीसदी की कटौती करने का निर्णय किया गया है. यही नहीं आगे लिखा गया है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल ने भी वेतन कटौती को अपनी मंजूरी दे दी है.
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कोरोना संक्रमण में शीर्ष पायदान पर मुंबई
साथ ही शिवसेना ने सामना में कहा कि मुंबई जैसा शहर केंद्र सरकार को 2.5 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करता है. इसका 25 फीसदी महाराष्ट्र को वापस किया जाना चाहिए. इसके बाद मुख्यमंत्री ठाकरे भी मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ सकेंगे.पेट के बल चलती है सेना, सर! अगर कोरोना के खिलाफ युद्ध में जनता एक सेना है, तो वह कैसे भूखी रह सकती है? गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र देश में सबसे आगे चल रहा है. वहां अब तक एक हजार से अधिक पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं. हालांकि संक्रमण से ठीक होने वालों की दर भी 10 फीसदी के आसपास है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने कोरोना संक्रमण से मरने वालों का अब पोस्टमार्टम नहीं कराने का निर्णय किया है.
HIGHLIGHTS
- 'सामना' की संपादकीय में मोदी सरकार पर शिवसेना का तीखा हमला.
- कहा-काला धन अगर अभी भी आ जाए तो कोरोना से जंग तेज होती.
- सांसदों के वेतन समेत एमपीलेड को लेकर भी खड़े किए सवाल.