कोरोना वायरस (Corona Virus) के कोहराम के बीच आम लोगों को आर्थिक तंगी दूर करने के लिए मोदी सरकार (Modi Sarkar) कई मोर्चों पर काम कर रही है. एक दिन पहले मंगलवार को जहां निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कई राहतों का ऐलान किया, वहीं मजदूरों को समय पर और पूरा भुगतान दिलाने के लिए श्रम मंत्रालय जुट गया है. श्रम मंत्रालय ने एक अप्रैल तक पूरा भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकारों को पत्र लिखा है. आने वाले एक महीने के भीतर मोदी सरकार के सामने जहां कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने की चुनौती है, वहीं आर्थिक मोर्चे पर भी हालात को संभालने की दोहरी चुनौती आन पड़ी है. लॉक डाउन के बीच लोगों को आर्थिक दिक्कत ना हो, इसके लिए सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं. विपक्षी दल भी लॉकडाउन के बीच इसे लेकर आवाज उठा रहे हैं.
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हालात को भांपकर सरकार भी इस पर काम कर रही है. लोग तो पीएम के संबोधन में ही आर्थिक पैकेज का ऐलान होने की संभावना जता रहे थे, लेकिन वहां कोई ऐलान नहीं हुआ. अब श्रम मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और श्रम मंत्रियों को पत्र लिखकर मजदूरों के भुगतान में कोई कमी और देरी न करने को कहा है. श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ के तहत 65 लाख पेंशनरों को समय पर पूरा पेंशन मुहैया कराने को कहा है.
DBT के जरिए मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान करने के साथ लेबर वेलफेयर बोर्ड के फंड से उन्हें धन मुहैया कराने को कहा गया है. इस फंड में लगभग 52 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध हैं, जबकि इसके तहत पंजीकृत मजदूरों की संख्या लगभग साढ़े तीन करोड़ है. इसका उपयोग मजदूरों की समस्याएं हल करने में किया जा सकता है.
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सूत्रों का कहना है कि सरकार को उम्मीद है कि एक महीने में हालात बेहतर हो जाएंगे. दूसरी ओर, यह भी डर है कि आर्थिक हालात बिगड़ने पर उसका असर लंबा खिंच सकता है. सरकार की नजर छंटनी और नौकरियों में कमी पर भी है. वेतन के संकट से लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है. इसमें सबसे अधिक रोल राज्य सरकारों का है, इसलिए केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय और विभाग सतत रूप से राज्यों के साथ संपर्क में है.
Source : News Nation Bureau