भारत केंद्रित एक अमेरिकी व्यापार वकालत समूह ने कहा है कि अमेरिका (America) की स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं (Emergency Services) के लिए महत्वपूर्ण ग्राहक और तकनीकी सहायता प्रदान करने वाले भारतीय बीपीओ उद्योग (Indian BPO Industry) में रुकावट से एफडीआई (FDI) पर नकारात्मक असर होगा. भारत में कोरोना वायरस संकट (Coronavirus) के चलते लोगों को घर से काम करने और घर पर ही रहने के लिए कहा जा रहा है. इसके साथ ही भारत अब ‘‘जनता कर्फ्य’’ की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में अमेरिका स्थित व्यापार वकालत समूह ने जोर देकर कहा कि भारत में उन कॉल सेंटर और सेवाओं को कुछ छूट देने की जरूरत है, जो अमेरिका में महत्वपूर्ण सहायता मुहैया करा रहे हैं.
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जनता कर्फ्यू से विदेशी निवेश होगा प्रभावित
अमेरिका-भारत रणनीति एवं साझेदारी मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी ने बताया कि इस तरह के व्यवधान से भारत में आने वाला निवेश प्रभावित होगा और यह संदेश जाएगा कि इन सेवाओं को अमेरिका में वापस लाया जाना चाहिए. भारत के बीपीओ उद्योग का वार्षिक राजस्व 10 अरब अमरीकी डालर से अधिक है और हजारों युवाओं को रोजगार देता है. उन्होंने कहा कि सभी अर्थव्यवस्थाएं अब आपस में जुड़ी हुई हैं, इसलिए आपको ऐसी नीति अपनानी होगी, जहां सभी देश एक-दूसरे का समर्थन करें. उदाहरण के लिए, भारत अमेरिका को लगभग 30 प्रतिशत जेनेरिक (दवा) देता है और इसे प्रभावित नहीं होना चाहिए.
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उन्होंने कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रधानमंत्री मोदी के ‘‘जनता कर्फ्यू’’ के आह्वान का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कुछ सावधानियों की बात भी कही. उन्होंने कहा कि आपको यह भी समझना होगा कि जब आप भारत में एक प्रकार का जनता कर्फ्यू लागू करते हैं और प्रधानमंत्री कहते हैं कि मुझे दो सप्ताह का समय दें और आपके यहां एक बड़ा बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) उद्योग है, जो अमेरिका में स्वास्थ्य उद्योग की मदद कर रहा है... अस्पतालों, आपातकालीन केंद्रों... तो हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि इन हालात को कैसे संभालना है. अघी ने कहा कि क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो वे उन सेवाओं को मुहैया नहीं करा पाएंगे. ऐसे में भविष्य के निवेश पर इसका असर होगा और यह संदेश जाएगा कि जरूरी सेवाओं को अमेरिका में वापस लाया जाना चाहिए.