केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के इलाज के लिए संशोधित गाइडलाइंस जारी की है. इसमें कई दवा पर रोक लगा दी गई हैं. सरकार ने कोरोना मरीजों को दी जाने वाली डॉक्सीसाइक्लिन, आइवरमेक्टिन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन समेत कई दवाओं पर रोक लगा दी है. बता दें कि ये दवाएं कोरोना मरीजों को खूब दिया जा रहा था. केंद्र सरकार की ओर से जारी नई गाइडलाइंस के मुताबिक, जिन मरीजों में कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते या हल्के लक्षण हैं, उन्हें किसी तरह की दवाइयां लेने की जरूरत नहीं है. हालांकि, दूसरी बीमारियों की जो दवाएं चल रही हैं, उन्हें जारी रखना चाहिए. ऐसे मरीजों को टेली कंसल्टेशन (वीडियो के जरिए उपचार) लेना चाहिए. अच्छी डाइट लेनी चाहिए. साथ ही मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे जरूरी कोरोना नियमों का पालन करना चाहिए.
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डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) ने नई गाइडलाइंस के तहत एसिम्प्टोमेटिक मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रहीं सभी दवाओं को लिस्ट से हटा दिया है. गाइडलाइन में कहा गया है कि ऐसे संक्रमितों को दूसरे टेस्ट करवाने की जरूरत भी नहीं है. इससे पहले 27 मई को गाइडलाइन जारी की गई थी, जिसमें हल्के लक्षणों वाले मरीजों पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, आइवरमेक्टिन, डॉक्सीसाइक्लिन, जिंक और मल्टीविटामिन के इस्तेमाल की मनाही की गई थी. इसके अलावा एसिम्प्टोमेटिक मरीजों के लिए सीटी स्कैन जैसे गैर जरूरी टेस्ट लिखने से भी मना किया गया था.
भारत में 1 लाख से अधिक कोरोना के मामले
भारत में सोमवार को बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1,00,636 नए मामले दर्ज किए गए, जो रविवार से 13,824 कम है. यह 5 अप्रैल के बाद से अब तक हुई सबसे कम वृद्धि है, जब महज एक दिन में 96,982 मामलों की वृद्धि देखी गई थी. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि इसी अवधि के दौरान 2,427 और लोगों ने महामारी के कारण अपना दम तोड़ दिया. रविवार (6 जून) को भारत में 1,14,460 मामले दर्ज किए गए थे, जो 6 अप्रैल के बाद से सबसे कम वृद्धि है.
भारत में कोविड-19 के मामलों की कुल संख्या अब 2,89,09,975 है, जिसमें 14,01,609 सक्रिय मामले हैं और अब तक 3,49,186 मौतें हुई हैं.
पिछले कुछ दिनों में भारत में कोरोना के नए मामलों में गिरावट देखी गई है. यहां इस वक्त हर 24 घंटे में मामलों की संख्या एक लाख के आसपास बनी हुई है, जबकि मौतें भी 3,000 की संख्या से नीचे हैं. हफ्तों तक दूसरी लहर की मार झेलने के बाद 17 मई को पहली बार मामलों की संख्या तीन लाख के अंक से नीचे दर्ज की गई, जबकि 7 मई को इनकी संख्या 4,14,188 के रिकॉर्ड स्तर पर थी.