दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निचली अदालत के उस फैसले को सोमवार को खारिज कर दिया जिसमें भ्रष्टाचार के दो मामलों में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास और कई अन्य के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिये गये थे. न्यायमूर्ति आई एस मेहता ने निचली अदालत के सात अक्टूबर, 2015 को दिये उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी समेत विभिन्न कथित अपराधों और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत रामदास और अन्य के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिये गये थे.
संप्रग एक सरकार के कार्यकाल में मई 2004 से अप्रैल 2009 तक केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे रामदास का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल गुप्ता और अधिवक्ता प्रमोद कुमार दुबे ने किया.
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उच्च न्यायालय ने मामले पर नये सिरे से सुनवाई करने के लिए उसे निचली अदालत के पास वापस भेज दिया. निचली अदालत में मामले को सुनवाई के लिए 19 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया है.
भ्रष्टाचार के ये दो मामले एक निजी मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थित रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आरएमसीएच), और इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज एवं अनुसंधान केन्द्र (आईएमसीएचआरसी) से संबंधित है. रामदास और अन्य आरोपियों पर आरोप इन कॉलेजों से जुड़े हैं.