केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में देश में न्यायाधीशों के दूसरे नंबर पर सबसे अधिक रिक्त पद हैं. इतना ही नहीं, इस साल अप्रैल से कलकत्ता उच्च न्यायालय में कोई स्थायी मुख्य न्यायाधीश नहीं है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय 66 रिक्तियों के साथ सूची में सबसे ऊपर है, जबकि कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के 41 पद रिक्त हैं. मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश भर में कुल मिलाकर 453 रिक्तियां हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय में 71 पदों की स्वीकृत शक्ति है, लेकिन केवल 31 न्यायाधीश पोजिशन में हैं.
दूसरी ओर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 160 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है, जहां 94 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जबकि 66 पद अभी भरे जाने बाकी हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय में रिक्तियों में से 25 स्थायी न्यायाधीशों के लिए और 16 अतिरिक्त न्यायाधीशों के लिए हैं. प्रतिशत के हिसाब से देखें तो कलकत्ता हाई कोर्ट में 57.4 फीसदी वैकेंसी है, जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट में 48.2 फीसदी वैकेंसी है. यहां तक कि बंबई उच्च न्यायालय, जिसमें 94 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है में 31 न्यायाधीशों की रिक्तियां बनी हुई हैं. इसके अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय में 30 न्यायाधीशों की, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में 29 न्यायाधीशों की और पटना उच्च न्यायालय में 33 न्यायाधीशों की रिक्तियां बनी हुई हैं.
एक उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, कलकत्ता उच्च न्यायालय की स्थिति सबसे खराब है. कोई न्यायाधीश नहीं हैं और स्वाभाविक रूप से महत्वपूर्ण मामले महीनों से लंबित हैं. कोई स्थायी मुख्य न्यायाधीश नहीं है. कलकत्ता उच्च न्यायालय देश की सबसे महत्वपूर्ण अदालतों में से एक है और इस तरह की स्थिति लंबे समय तक नहीं बनी रह सकती है. इतने सारे रिक्त पदों के बावजूद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट में भर्ती पर कोई टिप्पणी नहीं की है. राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, रिजिजू ने कहा, उच्च न्यायालयों में रिक्तियों को भरना कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक सतत, एकीकृत और सहयोगी प्रक्रिया है. इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर विभिन्न संवैधानिक प्राधिकरणों से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है.
केंद्रीय कानून मंत्री ने यह भी कहा कि पदों को भरने के प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये रिक्तियां सेवानिवृत्ति, इस्तीफे, या न्यायाधीशों की पदोन्नति कारण भी उत्पन्न होती रहती हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश इस वर्ष सेवानिवृत्त होने वाले हैं और अगली सेवानिवृत्ति 2023 में है. अप्रैल 2020 में, उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों का तबादला कर दिया गया था. उनमें से तीन ने बंबई, मद्रास और मेघालय उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में कार्यभार संभाला था. कलकत्ता उच्च न्यायालय में अब दो अतिरिक्त न्यायाधीश हैं.
HIGHLIGHTS
- देश भर के हाईकोर्ट में जजों की कुल 453 रिक्तियां
- इलाहाबाद औऱ कलकत्ता हाईकोर्ट में ज्यादा वैकेंसी