दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा (Delhi Violence) से जुड़े दो अलग मामलों में आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) और अन्य के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र का संज्ञान लिया है. मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि दयालपुर क्षेत्र में दंगे से जुड़े मामले में हुसैन, तनवीर मलिक, गुल्फाम, नाजिम, कासिम, शाह आलम, रियासत अली और लियाकत अली के खिलाफ भादंसं की विभिन्न धाराओं के तहत अपराधों का संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त सामग्री है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के समर्थकों एवं विरोधियों के बीच झड़प के बाद 24 फरवरी को सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था जिसमें 53 लोगों की जान गयी थी और करीब 200 घायल हुए थे.
यह भी पढ़ेंः महबूबा मुफ्ती को किया गया रिहा, पिछले साल 4 अगस्त से थी नजरबंद
दंगा भड़काने का मामला
इन अपराधों में दंगा फैलाने (धाराएं 147 एवं 148), अवैध रूप से इकट्ठा होने (149), हत्या के प्रयास (307) और आपराधिक साजिश (120-बी) शामिल हैं. अदालत ने लोक सेवक के सार्वजनिक कामकाज के निर्वहन में बाधा पहुंचाने (147, 148, 149, 186) , डकैती (395) आग या विस्फोटक से शरारत, (426) हमले की तैयारी के बाद घर में अनधिकार प्रवेश (452) समेत भादंसं की विभिन्न धाराओं के तहत हुसैन समेत 16 आरोपियों के विरूद्ध आरोप पत्र का संज्ञान लिया.
यह भी पढ़ेंः हाथरस में फिर हैवानियत, भाई ने मासूम के साथ रिश्तों को किया शर्मसार
इनके खिलाफ है आरोपपत्र
यह आरोपत्र हुसैन, लियाकत अली, रियासत अली, शाह आलम, मोहम्मद शादाब, मोहम्मद आबिद, राशिद सैफी, गुल्फाम, अरशद कैयूम, इरशाद अहमद, मोहम्मद रिहान, तारिक मोइन रिजवी, जागर खान, हाजिलशक मलिक, मोहम्मद इलियास और खालिद सैफी के खिलाफ जून में दाखिल किया गया था. हालांकि, दोनों ही मामलों में अदालत ने धारा 153 (धर्म, जाति, भाषा आदि के अधार पर वैमनस्य फैलाने), 506 (सार्वजनिक शरारतीपूर्ण कार्य) एवं हथियार कानून की धाराओं के तहत अपराधों का संज्ञान नहीं लिया क्योंकि इनके लिए पुलिस ने अबतक जरूरी मंजूरी नहीं हासिल की है.