अदालत ने पूर्व पीएम देवगौड़ा को एनआईसीई को 2 करोड़ रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया

28 जून, 2011 को एक स्थानीय समाचार चैनल गौड़ारा गर्जने (गौड़ा दहाड़) को दिए गए गौड़ा के साक्षात्कार के बाद एनआईसीई ने जनता दल (सेक्युलर) के नेता के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया था और हर्जाने के रूप में 10 करोड़ रुपये मांगे थे.

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Shailendra Kumar
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कोर्ट ने पूर्व पीएम को 2 करोड़ रुपये का हर्जाना देने का दिया निर्देश( Photo Credit : IANS)

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कर्नाटक के बेंगलुरु में आठवीं सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा को नंदी इंफ्रास्ट्रक्च र कॉरिडोर एंटरप्राइजेज (एनआईसीई) के खिलाफ अपमानजनक बयान के लिए कंपनी को हर्जाने के रूप में दो करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है. आठवें नगर दीवानी एवं सत्र न्यायाधीश मल्लनगौडा ने एनआईसीई द्वारा दायर मुकदमे पर यह निर्देश दिया है, जो पिछले दो दशकों से परियोजना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे गौड़ा के लिए एक बड़ा झटका है. इस परियोजना को बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओओटी) के आधार पर खुद गौड़ा ने मंजूरी दी थी, जब वह 1995 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे.

28 जून, 2011 को एक स्थानीय समाचार चैनल गौड़ारा गर्जने (गौड़ा दहाड़) को दिए गए गौड़ा के साक्षात्कार के बाद एनआईसीई ने जनता दल (सेक्युलर) के नेता के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया था और हर्जाने के रूप में 10 करोड़ रुपये मांगे थे. साक्षात्कार का जिक्र करते हुए, एनआईसीई परियोजना के प्रमोटर और प्रबंध निदेशक अशोक खेनी, जो बीदर दक्षिण के पूर्व विधायक भी हैं, ने कंपनी के खिलाफ गौड़ा के आरोपों को चुनौती देते हुए मानहानि का मुकदमा दायर किया था और मांग की थी कि गौड़ा अदालत में अपने आरोपों को साबित करें.

समाचार चैनल पर साक्षात्कार का उल्लेख करते हुए, अदालत ने अपमानजनक टिप्पणियों के कारण कंपनी की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए देवगौड़ा को कंपनी को दो करोड़ रुपये की राशि दंड के तौर पर भरने का निर्देश दिया है. जनता दल (सेकुलर) प्रमुख ने एनआईसीई परियोजना पर निशाना साधा था और उसे लूट बताया था. इस पर एनआईसीई के प्रमोटर खेनी ने आपत्ति जताई थी और अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि गौड़ा द्वारा अपमानजनक टिप्पणियों और झूठे आरोपों से कंपनी की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए उनकी कंपनी को हर्जाने के रूप में 10 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए.

अदालत ने कहा कि प्रतिवादी (देवगौड़ा) एक साक्षात्कार में उनके द्वारा दिए गए बयानों की पुष्टि करने में विफल रहे हैं और यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि वादी कंपनी (एनआईसीई) के खिलाफ उनके द्वारा लगाए गए आरोप किसी भी ठोस दस्तावेजी प्रमाण द्वारा समर्थित हैं. अदालत ने कहा कि जिस परियोजना पर सवाल किए गए, उसे कर्नाटक उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णयों में बरकरार रखा है. अदालत ने 17 जून के अपने फैसले में कहा कि कंपनी की परियोजना बड़ी है और कर्नाटक के हित में है.

अदालत ने कहा, अगर भविष्य में इस तरह के अपमानजनक बयान देने की अनुमति दी जाती है, तो निश्चित रूप से, कर्नाटक राज्य के व्यापक जनहित वाली इस जैसी बड़ी परियोजना के कार्यान्वयन में देरी होगी. अदालत को लगता है कि प्रतिवादी के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा जारी करके ऐसे बयानों पर अंकुश लगाना जरूरी है. नंदी इन्फ्रास्ट्रक्च र कॉरिडोर एंटरप्राइजेज, जिसे आमतौर पर एनआईसीई रोड के रूप में जाना जाता है और आधिकारिक तौर पर बेंगलुरू-मैसुरु इंफ्रास्ट्रक्च र कॉरिडोर (बीएमआईसी) कहा जाता है, जो कर्नाटक में 4 से 6 लेन का निजी टोल एक्सप्रेसवे है, जो बेंगलुरू और मैसूर को जोड़ता है.

HIGHLIGHTS

  • बेंगलुरु में आठवीं सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा को निर्देश
  • एनआईसीई के खिलाफ अपमानजनक बयान के लिए कंपनी को हर्जाने दे पूर्व पीएम
  • सिविल एंड सेशंस कोर्ट ने दो करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है
former PM Deve Gowda अदालत Court directs former PM Deve Gowda NICE पूर्व पीएम देवगौड़ा
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