मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन है, हिन्दोस्ता हमारा मशहूर शायर इकबाल की इन मशहूर पक्तियों के साथ द्वारका कोर्ट ने आईएमए के अध्यक्ष जेए जयालाल को नसीहत दी है कि वो आईएमए जैसी संस्था को किसी धर्म विशेष के प्रचार के प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल न करें. कोर्ट ने ये भी कहा है कि इतने जिम्मेदारी भरे पद पर बैठे किसी शख्स से हल्के कमेंट की उम्मीद नहीं की जा सकती. एडिशनल सेशन जज अजय गोयल ने ये आदेश रोहित झा नाम के एक शख्स की शिकायत पर सुनाया. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि आईएमए अध्यक्ष जेए जयालाल कोविड के उपचार में आयुर्वेद की अपेक्षा, एलोपैथी को बेहतर साबित करने की आड़ में ईसाई धर्म को बढ़ावा दे रहे हैं, हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक अभियान चला रहे हैं. शिकायत कर्ता के मुताबिक जयालाल हिंदुओं को ईसाई धर्म में कन्वर्ट करने के लिए अपने पद का नाजायज फायदा उठा रहे है, राष्ट्र को गुमराह कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें : किसान आज मनाएंगे सम्पूर्ण क्रांति दिवस, कृषि कानूनों की जलाएंगे प्रतियां
शिकायतकर्ता रोहित झा की ओर से उनके वकील संजीव उनियाल ने दावे को साबित करने के लिए कोर्ट के समक्ष आईएम अध्यक्ष जेए जयालाल के कई इंटरव्यू और आर्टिकल को रखा और कोर्ट से मांग की कि वो उन्हें ऐसे किसी भी बयान देने से रोके जो हिन्दू धर्म या आयुर्वेद चिकित्सा को नीचा दिखाने वाला हो. बहरहाल द्वारका कोर्ट ने बयान पर रोक का ऐसा कोई आदेश तो पास नहीं किया मगर आईएमए अध्यक्ष जयालाल को नसीहत जरूर दी है. कोर्ट ने कहा कि कि आईएमए प्रेजिडेंट की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया है कि वो आगे ऐसी कोई हरकत नहीं करेंगे. उनसे उम्मीद की जाती है कि अपनी पद की गरिमा को बनाए रखेगे और आईएम जैसी संस्था के प्लेटफार्म का इस्तेमाल किसी धर्म को बढ़ावा देने में नहीं करेंगे. इसके बजाए वो अपना ध्यान मेडिकल क्षेत्र की उन्नति और इससे जुड़े लोगो की भलाई में लगाएंगे.
HIGHLIGHTS
- कोर्ट ने कहा, IMA जैसी संस्था किसी धर्म विशेष के प्रचार के लिए नहीं
- आईएमएस अध्यक्ष पर लगाया गया था ईसाई धर्म को बढ़ावा देने का आरोप
- कोरोना वायरस के इलाज के बीच चल रही है एलोपैथ बनाम आयुर्वेद की जंग
Source : News Nation Bureau