यूपी में पिछली सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति की दूसरी जमानत याचिका को पाक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश उमाशंकर शर्मा ने खारिज कर दिया।
कोर्ट ने अपने 8 पेज के आदेश में पूर्व मंत्री की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि मामले की पीड़िता एवं उसकी पुत्री के कलमबंद बयान व पुलिस को दिए गए बयान पत्रावली पर उपलब्ध है और यह बयान आरोपी पर लगाये गये आरोपों की पुष्टि करते हैं।
कोर्ट ने कहा कि मामले में गवाही शुरू हो चुकी है और आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति मामले का मुख्य आरोपी होने के साथ है। राजनैतिक प्रभावशाली व्यक्ति है जो कि जमानत पर रिहा होने के बाद गवाहों पर अनुचित दबाव बना सकता है या गवाहों के जीवन को खतरा पैदा कर सकता है।
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इसके पहले आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर से द्वितीय जमानत अर्जी देकर बताया गया कि राजनैतिक विद्वेश के कारण ही उद्देश्य की पूर्ति के लिए झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया है। कहा गया कि पीड़िता की नाबालिग पुत्री ने अपने कलमबंद बयान में आरोपी के खिलाफ किसी आरोप की पुष्टि नहीं की है।
आपको बता दें कि 18 फरवरी, 2017 को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति एवं अन्य छह मुल्जिमों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।
पीड़िता ने गायत्री प्रजापति और उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाया था। विवेचना के दौरान पुलिस ने गायत्री समेत सभी मुल्जिमों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
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Source : News Nation Bureau