अदालत ने किरण बेदी के खिलाफ एकल न्यायाधीश के आदेश को किया निरस्त

मुख्य न्यायाधीश ए पी साही और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की प्रथम पीठ ने केंद्र और प्रशासक (बेदी) की अपील स्वीकार की और कहा कि वह उम्मीद करती हैं कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चयनित सरकार और उपराज्यपाल अलग-अलग नहीं बल्कि साथ मिलकर काम करेंगे.

author-image
Ravindra Singh
New Update
kiran bedi

किरण बेदी( Photo Credit : फाइल)

Advertisment

मद्रास उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी केंद्रशासित प्रदेश में निर्वाचित सरकार के रोजमर्रा के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं. अदालत ने फैसला सुनाया कि बेदी और केंद्रशासित प्रदेश सरकार के बीच मतभेद होने पर प्रशासक (बेदी) द्वारा भेजे गए मामलों में अंतिम फैसला केंद्र करेगा. अदालत ने हालांकि इस बात को लेकर भी सचेत किया कि केंद्र सरकार को संविधान के दायरे में काम करना होगा, उसे विधायी मंशा का पालन करना चाहिए और कार्यपालिका की गलत व्याख्या से असंतुलित नहीं होना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश ए पी साही और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की प्रथम पीठ ने केंद्र और प्रशासक (बेदी) की अपील स्वीकार की और कहा कि वह उम्मीद करती हैं कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चयनित सरकार और उपराज्यपाल अलग-अलग नहीं बल्कि साथ मिलकर काम करेंगे. मुख्यमंत्री वी नारायणसामी और उपराज्यपाल के बीच कथित सत्ता संघर्ष को लेकर कई मामले दायर किये गए हैं. यह मामला पिछले साल उच्चतम न्यायालय भी पहुंचा था.

दैनिक काम काज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती राज्यपाल-आर महादेवन
न्यायालय ने केंद्र से कहा था कि वह एकल न्यायाधीश के आदेश को उच्च न्यायालय की खंड पीठ के समक्ष चुनौती दे. पीठ ने कहा कि पुडुचेरी में सरकार और प्रशासक की भूमिका एक दूसरे से जुड़ी हुई है और यदि कोई मतभेद होता है तो राष्ट्रपति के आदेश के तहत केंद्र सरकार अंतिम फैसला करेगी. इससे पहले, पिछले साल 30 अप्रैल को न्यायमूर्ति आर महादेवन ने कहा था कि पुडुचेरी की निर्वाचित सरकार के दैनिक कामकाज में वहां की उपराज्यपाल हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं.

कांग्रेस विधायक की याचिका पर आया फैसला
न्यायमूर्ति महादेवन ने कांग्रेस विधायक के. लक्ष्मीनारायणन की याचिका पर यह फैसला सुनाया था और गृह मंत्रालय द्वारा जनवरी और जून 2017 में प्रशासक की शक्तियां बढ़ाने संबंधी जारी दो आदेशों को निरस्त कर दिया था. याचिका पर सुनवायी करते हुए न्यायाधीश ने कहा था, ‘प्रशासक, सरकार के दैनिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं. मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया निर्णय सचिवों और अन्य अधिकारियों के लिए बाध्यकारी है.’ इस आदेश के खिलाफ केंद्रीय गृह सचिव और पुडुचेरी प्रशासक ने मौजूदा याचिका दायर की थी.

madras high court Kiran Bedi Puducheri LG Chief Justice AP Sahi Congress MLA K Lakshminarain
Advertisment
Advertisment
Advertisment