सिख विरोधी दंगा के दोषी खोखर की पैरोल अर्जी पर न्यायालय ने सीबीआई से मांगा जवाब

दंगा पीड़ितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूलका ने खोखर की जमानत अर्जी का विरोध किया. खोखर इस समय पंजाब में अपने पैतृक गांव में हैं. खोखर को इससे पहले अपने पिता का निधन होने की वजह से शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी को चार सप्ताह की पैरोल पर रिहा किया था.

author-image
Ravindra Singh
एडिट
New Update
प्रतीकात्मक तस्वीर

सांकेतिक चित्र( Photo Credit : फाइल)

Advertisment

हाईकोर्ट (High Court) ने कोविड -19 (COVID-19) महामारी की वजह से आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत या पैरोल के लिये 1984 के सिख विरोधी दंगों में उम्र कैद की सजा भुगत रहे कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर के आवेदन पर बृहस्पतिवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जवाब मांगा. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने खोखर के वकील के इस कथन का संज्ञान लिया कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर अदालतों और सरकार द्वारा जेलों में भीड़ कम करने के संबंध में दिये गए सुझाव को देखते हुये उसे पैरोल दी जाये. पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को इस अर्जी पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

दंगा पीड़ितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूलका ने खोखर की जमानत अर्जी का विरोध किया. खोखर इस समय पंजाब में अपने पैतृक गांव में हैं. खोखर को इससे पहले अपने पिता का निधन होने की वजह से शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी को चार सप्ताह की पैरोल पर रिहा किया था. खोखर और कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार इस समय सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. इन दोनों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर, 2018 को उम्र कैद की सजा सुनायी थी. खोखर ने अपनी अर्जी में कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अपने अधिकार का इस्तेमाल कर अपनी जिंदगी बचाने के लिये वह शीर्ष अदालत आया है.

महामारी में जेल के नियमों में हुआ संशोधन
इसमें कहा गया है कि आवेदक 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक है और छह साल से जेल में बंद है. आवेदन में कहा गया है कि वह मधुमेह, रक्तचाप तथा जोड़ों के दर्द सहित कई बीमारियों से जूझ रहा है. आवेदन में यह भी कहा गया है कि मार्च महीने में जब कोविड-19 ने देश को अपनी चपेट में लेना शुरू किया तो दिल्ली सरकार और उच्च न्यायालय ने बयान दिये थे कि इस माहामारी को फैलने से रोकने के लिये जेल नियमों में संशोधन कर दोषियों और विचाराधीन कैदियों को पैरोल का विकल्प प्रदान किये जायेंगे.

संशोधित नियम के तहत खोखर ने पैरोल की मांग की
खोखर ने जेल के संशोधित नियम 1211 के तहत पैरोल का अनुरोध करते हुये कहा है कि वह कई बीमारियों से ग्रस्त है जिनकी वजह से उसे इस संक्रमण की चपेट में आने का खतरा है. प्रधानमंत्री इन्दिरा गाधी की 31 अक्ट्रबर, 1984 को उनके अंगरक्षकों द्वारा गोली मार कर हत्या किये जाने के बाद दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़के थे. इन्हीं दंगों में से एक दक्षिण पश्चिम दिल्ली में पालम कालोनी के निकट राज नगर पार्टी-एक में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरूद्वारा जलाये जाने की घटना के सिलसिले में उच्च न्यायालय ने खोखर की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी थी. 

High Court cbi Anti Sikh Riots Sikh Riot 1984 Khokhar Parole Court Seeks response from CBI
Advertisment
Advertisment
Advertisment