मोदी सरकार डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारियों को सैलरी नहीं देने को अपराध घोषित करेगी

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज में लगे लोगों को उचित क्वारंटाइन करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि जो राज्य पालन न करे उसके मुख्य सचिव और अधिकारियों पर डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट-IPC की धाराओं में कार्रवाई होगी.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि डॉक्टर (Doctors) और स्वास्थ्य कर्मचारियों (Health Workers) को वेतन नहीं दिए जाने को अपराध घोषित किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इसे सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को निर्देश जारी करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज में लगे लोगों को उचित क्वारंटाइन करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि जो राज्य पालन न करे उसके मुख्य सचिव और अधिकारियों पर डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट-IPC की धाराओं में कार्रवाई होगी.

यह भी पढ़ें: अर्थव्यवस्था को कोरोना के झटके से उबारने के लिए अंतिम राहत पैकेज ला सकती है मोदी सरकार

दिल्ली में चिकित्सकों के एक संघ ने दी थी सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी

बता दें कि पिछले हफ्ते चिकित्सकों के एक संघ ने दिल्ली में नगर निगम के दो अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों को अपना समर्थन दिया है और तीन महीने से लंबित वेतन के भुगतान की उनकी उचित मांगों को एक हफ्ते के भीतर पूरा नहीं किए जाने पर सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी दी थी. नगरपालिका चिकित्सक संघ (एमसीडीए) ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को भी पत्र लिखकर उनसे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी. पत्र की एक प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी प्रेषित की गई थी. उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के 450 बेड वाले कस्तूरबा अस्पताल और हिंदू राव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने दावा किया है कि उन्हें मार्च से वेतन नहीं मिला है. दोनों ही अस्पतालों में कई डॉक्टर और अन्य स्टाफ कोविड-19 की जांच में संक्रमित पाए गए हैं.

यह भी पढ़ें: अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी जितनी लंबी होगी, नुकसान भी उतना बड़ा होगा: जेरोम पावेल

एमसीडीए के अध्यक्ष आर आर गौतम ने कहा था कि डॉक्टर हर दिन अपने और अपने परिवार के जीवन को जोखिम में डालते हैं. उन्होंने कहा कि अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे कोविड-19 स्वास्थ्य कर्मी होने की वजह से उनको उनका बकाया वेतन मिलना चाहिए. संघ ने पत्र में कहा, हमारा संघ पूरी तरह और बिना शर्त रेजिडेंट डॉक्टर्स के संघों की उचित मांगों का समर्थन करता है और हमने तय किया है कि सभी डॉक्टरों के तीन महीने के वेतन का भुगतान एक हफ्ते के भीतर नहीं होने पर हमें भी सरकारी सेवाओं से सामूहिक रूप से इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ेगा. इसमें कहा कि अगर ऐसा नहीं करने दिया जाता, “तो हमें सामूहिक स्तर पर वीआरएस (स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति) लेने की अनुमति दी जाए.

यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस की वजह से ज्वैलरी एक्सपोर्टर्स को लगा बड़ा झटका, अप्रैल-मई में निर्यात में आई भारी गिरावट 

बुधवार को, कस्तूरबा अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी. पिछले हफ्ते गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी. एनडीएमसी की स्थायी समिति के प्रमुख, जय प्रकाश ने कहा कि मामला सुलझाया जा रहा है. (इनपुट भाषा)

Supreme Court covid-19 coronavirus SC Coronavirus Epidemic Doctors Salary
Advertisment
Advertisment
Advertisment