देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में 10 फरवरी से विश्व पुस्तक मेला शुरू हो गया है, जो 18 फरवरी तक चलेगा. यानी अब महज तीन दिन बचे हैं. इस विश्व पुस्तक मेले का आयोजन नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है. आपको बता दें कि मेले में दुनिया भर से प्रकाशक और पाठक हिस्सा ले रहे हैं. किताबों के कुंभ मेले में पाठकों की संख्या अपने आप में आश्चर्यजनक है. मेले में प्रतिदिन लाखों पाठक आ रहे हैं. हर बुक स्टॉल लोगों की भीड़ देखी जा रही है लेकिन इसमें एक ऐसा भी स्टॉल है, जो सभी को अपनी ओर खींच रहा है.
इतनी भीड़ धार्मिक किताबों के स्टॉल पर?
हम बात कर रहे हैं...धार्मिक किताबों के स्टॉल की. यह पहली बार नहीं है कि धार्मिक पुस्तकों के स्टॉल लगाए गए हों. हर बार की तरह इस बार भी बुक स्टॉल लगे हैं लेकिन इस बार इन बुक स्टॉल पर सैकड़ों की संख्या में लोग जुट रहे हैं. इसमें सबसे खास बात यह है कि युवा धार्मिक किताबों के प्रति काफी आकर्षित नजर आ रहे हैं.
युवा धार्मिक किताब भी खरीद रहे हैं. हॉल 1 में लगे अखिल विश्व गायत्री परिवार के स्टॉल पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही हैं. यहां काम करने वाले एक कर्मचारी ने कहा कि हम काफी हैरान हैं कि इस बार हमें पहले की अपेक्षा में ज्यादा पाठक धार्मिक किताबों के स्टॉल पर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि गायत्री परिवार के लोग हिस्सा बन रहे हैं और पुस्तकें भी खरीद रहे हैं. उन्होंने बताया कि राम मंदिर निर्माण से लोगों में एक तरह की जागरूकता देखने को मिल रही है.
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धार्मिक किताबों के स्टॉल पर आए रीडर्स ने क्या कहा?
वहीं, जब विश्व पुस्तक मेले में आए कई पाठकों से बात की गई तो उनके जवाब भी काफी आकर्षक थे. धार्मिक पुस्तक स्टाल पर कई पाठक मिले. उन्हीं पाठकों में से एक सोनम तिवारी भी मिलीं, जिन्होंने बताया कि किताबों के तो हम पहले से ही दीवाने हैं लेकिन इस बार धार्मिक किताबों ने हमें अपनी ओर आकर्षित किया है. उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति को अपने धर्म को समझना होगा और जानना होगा कि धर्म क्या कहता है?
हमारा मानना है कि अगर आप गलत रास्ते पर हैं तो आपका धर्म यहां साथ देगा और आपको उस गलत रास्ते से बाहर निकालेगा. तिवारी ने कहा कि धर्म को जीवनयापन का साधन मानकर उसे अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है. एक पाठक अखिल तिवारी ने कहा कि मैं युवा हूं और मुझे पहले धर्म के बारे में कुछ समझ नहीं था. हालांकि ऐसा नहीं है कि हम ईश्वर को नहीं मानते थे, लेकिन ईश्वर को मानना और धर्म को समझना दोनों ही अपने आप में महत्वपूर्ण हैं. हमने इस बार कई किताबें ली हैं.
Source : News Nation Bureau