शुक्रवार भारत की मेजबानी में ब्रिक्स देशों के संस्कृति मंत्रियों की वर्चुअल बैठक हुई. छठी ब्रिक्स बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल जी ने की. बैठक में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संस्कृति मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. बैठक में ब्रिक्स देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामंजस्य बढ़ाने और सांस्कृतिक गतिविधियों के विस्तार पर चर्चा हुई. केंद्रीय मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृति ऐसा माध्यम है जो भिन्न भाषा और परिवेश के बाद भी सहज संवाद स्थापित कर देता है.
'ब्रिक्स देशों के सांस्कृतिक सहयोग और मजबूत बनाने पर जोर'
उन्होंने ब्रिक्स देशों के सांस्कृतिक सहयोग को औऱ मजबूत बनाने पर जोर देते हुए कहा कि पिछले डेढ़ साल से दुनिया कोविड-19 की महामारी से जूझ रही है, सांस्कृतिक आयामों के साथ-साथ जीवन के सभी हिस्सों को इस महामारी ने प्रभावित किया है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में डिजिटल तकनीक ने महामारी में भी एक नया रास्ता दिखाया है और मुश्किलों को आसान बनाया है.
ब्रिक्स देशों के बीच सांस्कृतिक विरासत के ज्ञान ऑनलाइन आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग पर जोर दिया
उन्होंने ब्रिक्स देशों के बीच सांस्कृतिक विरासत के ज्ञान ऑनलाइन आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग पर जोर दिया. उन्होंने जीवंत अंतरराष्ट्रीय मानवीय संवाद स्थापित करने के लिए संस्कृति की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि उन सांस्कृतिक संगठनों की सराहना की जानी चाहिए जिन्होंने कोरोना काल में ऑनलाइन सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन किया.
उन्होंने ब्रिक्स देशों के बीच प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटलीकरण के आपसी सहयोग का प्रस्ताव रखा ताकि पांडुलिपियों में निहित अमूल्य जानकारी के खजाने को संजोया जा सके. उन्होंने मौजूदा यूनेस्को सम्मेलनों के अलावा ब्रिक्स ढांचे के भीतर पारस्परिक सहायता और समर्थन के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने भारत की आजादी के 75 साल के समारोह की शुरुआत के ऐतिहासिक अवसर को भी साझा किया, जो मार्च 2021 में 'आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम' के तहत शुरू हुआ था.
HIGHLIGHTS
- ब्रिक्स देशों की बैठक में बोले संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल
- दूरियां मिटाने के लिए संस्कृतियों का आदान-प्रदान जरूरी
- भिन्न भाषा और परिवेश के बाद भी सहज संवाद स्थापित कर देता है