चीन (China) के खिलाफ हर मोर्चे पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी से बड़ी सख्ती नहीं की गई तो ड्रैगन ताइवान (Taiwan) और नेपाल (Nepal) को निगलने के बाद भारत की ओर रुख कर सकता है. ताइवान पर चीन की जारी सैन्य घेराबंदी के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने चीन को भारत का सबसे बड़ा शत्रु बताया. उन्होंने कहा कि चीन की साजिशों के विरुद्ध पूरे देश को एकजुट होना आगे आना होगा.
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) और भारतीय सुरक्षा जागरण मंच जनपथ के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (FANS) द्वारा साइबर युद्ध आधारित कार्यशाला को संबोधित करते हुए शनिवार को कहा कि आज युद्ध के तरीके बदल रहे हैं. इसमें इंटरनेट की दुनिया का इस्तेमाल एक हथियार के तौर पर किया जाने लगा है. जब हम साइबर अपराध जैसी बड़ी वैश्विक चुनौती से लड़ रहे हों, तो हर सूचना महत्वपूर्ण हो जाती है.
चीन की विस्तारवादी नीतियां जारी
इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीतियां जारी है. साइबर क्राइम भी विस्तारवाद का ही पोषक है. भारत की सख्त आपत्तियों के बावजूद अपने लोगों की रक्षा के नाम पर लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के नजदीक पाकिस्तान की सीमा में अपने सैनिकों की आवाजाही बढ़ा दी है. इससे जम्मू कश्मीर तक हमला आसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि चीन का भारत के खिलाफ आर्थिक और साइबर युद्ध के साथ प्रोपेगेंडा युद्ध भी लगातार जारी ही है. यह छद्म युद्ध एक साथ कई मोर्चे पर लड़ी जा रही है.
चीन के चंगुल में आकर श्रीलंका दिवालिया
आरएसएस प्रचारक ने कहा कि आर्थिक युद्ध में चीन से उत्पादित सामानों पर और उसको कच्चा माल देने के मामले में सख्ती और प्रतिबंध जैसे कदमों से काबू पाया गया है. उसे राष्ट्रीय राजमार्ग और रक्षा के साथ दूरसंचार प्रोजेक्ट से भी बाहर किया गया है. इसलिए हम चीन के चंगुल में आकर श्रीलंका जैसी दिवालिया होने की स्थिति से बच गए. देश की ओर से साइबर युद्ध पर काबू पाने की कोशिश अभी जारी है.
साइबर अपराध बहुत बड़ी वैश्विक चुनौती
डायनेमिक्स एंड पैराडाइम्स ऑफ साइबर वर्ल्ड विषय पर इंटरनेट के उपयोग की संवेदनशीलता की चर्चा करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि यह प्रकृति का नियम है कि हर प्रश्न के साथ ही उसका उत्तर भी जन्म ले लेता है. कश्मीर घाटी में आतंकवाद को ध्वस्त करने में किसी भी प्राप्त सूचना पर काम करने की नीति ने बड़ी भूमिका निभाई. आज युद्ध में इंटरनेट की दुनिया का इस्तेमाल एक हथियार के तौर पर किया जाने लगा है. जब हम साइबर अपराध जैसी बड़ी वैश्विक चुनौती से लड़ रहे हों, तो हर सूचना महत्वपूर्ण हो जाती है.
दुनिया के कई देशों से भारत में साइबर साजिश
इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन, पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, नाइजीरिया और कनाडा जैसे देशों से इंटरनेट आधारित मीडिया के माध्यम से देश का माहौल खराब करने वाले पोस्ट किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश में नफरत का माहौल तैयार करने के लिए मुस्लिम समाज को भड़काने, कोरोना के वक्त गरीब मजदूरों के पलायन के वक्त भड़काने, वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाने और गांव-शहर को आपस में लड़वाने जैसे मामले देखे गए. इस सायबर साजिश में उन्हें यहां के लोगों का भी साथ मिला.
संघ प्रचारक ने कहा कि आगे यह हमले और बढ़ेंगे. इसके लिए मजबूती से कमर कसना होगा. देश के लोगों के साथ देश को इन साइबर अपराधों से बचाने के लिए बड़ी संख्या में "साइबर संग्राम सेनानी" की आवश्यकता होगी. इसके लिए विशेषज्ञों के साथ युवाओं को आगे आना होगा.
संशोधनों के साथ आएगा डेटा लॉ प्रोटेक्शन बिल
इस कार्यक्रम में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि ऐसे समय में जब देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है, साइबर अपराध और डेटा लॉ प्रोटेक्शन जैसे विषयों पर विमर्श की जरूरत बढ़ गई है. डेटा लॉ प्रोटेक्शन से जुड़े विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ फिर लाया जाएगा. उर्जा मंत्रालय ने ऑपरेटिव सिस्टम को लेकर सावधानियां बरतीं हैं. उन्होंने बताया कि म्यांमार में आतंकियों पर हमले के बाद रोहिंगिया के मारे गए लोगों की फोटो मॉर्फ कर के बौद्धों की फोटो के रूप में कुछ असमाजिक तत्वों ने फैला कर देश का माहौल खराब करने की कोशिश की थी.
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साइबर शक्तियों के नियमन की जरूरत
राष्ट्रीय जागरण सुरक्षा मंच के महासचिव गोलोक विहारी राय ने कहा कि साइबर की दुनिया आज एक ओर विकास का आधार बन रही है तो दूसरी ओर एक बड़ी चुनौती भी बन चुकी है. ऐसे में इस विषय पर व्यापक चर्चा की जरूरत है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराध लोगों की सुख-शांति के साथ ही देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनकर सामने आए हैं. साइबर क्राइम ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित किया है. युद्ध के परंपरागत तरीकों में आज साइबर वॉर जैसा एक नया शब्द जुड़ गया है. भारत में साइबर की शक्ति अपार है, लेकिन इसके नियमन की जरूरत है.
HIGHLIGHTS
- इंटरनेट की दुनिया का इस्तेमाल एक हथियार के तौर जारी
- चीन की विस्तारवादी नीतियां का पोषक है साइबर क्राइम
- देश की ओर से साइबर युद्ध पर काबू पाने की कोशिश तेज