राफेल डील पर दसॉ एविएशन के CEO ने कहा, हमने अंबानी को खुद चुना, IAF को सितंबर 2019 में मिलेगी पहली खेप

राफेल विमान सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर देश में जारी घमासान के बीच फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन के CEO एरिक ट्रैपियर ने कहा कि अंबानी की कंपनी को हमने खुद चुना है.

author-image
saketanand gyan
एडिट
New Update
राफेल डील पर दसॉ एविएशन के CEO ने कहा, हमने अंबानी को खुद चुना, IAF को सितंबर 2019 में मिलेगी पहली खेप

दसॉ एविएशन के CEO एरिक ट्रैपियर (फोटो : ANI)

Advertisment

राफेल विमान सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर देश में जारी घमासान के बीच फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन के CEO एरिक ट्रैपियर ने कहा कि अंबानी की कंपनी को हमने खुद चुना है. उन्होंने कहा कि रिलायंस के अलावा हमारे पहले से 30 साझेदार हैं. भारतीय वायुसेना इस डील का समर्थन कर रही है क्योंकि रक्षा प्रणाली में टॉप पर रहने के लिए उन्हें लड़ाकू विमानों की जरूरत है. एरिक ट्रैपियर ने कहा कि भारतीय वायुसेना को कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से राफेल की पहली खेप अगले साल सितंबर में मिलने जा रही है. यह पूरी तरह से समय पर होगा.

उन्होंने कहा, '36 विमानों की कीमत उतनी ही है जब आप 18 तैयार विमानों के साथ उसकी तुलना करते हैं. 36 तो 18 का दोगुना होता है. जहां तक मेरा मामला है कीमत दोगुनी होनी चाहिए थी. लेकिन यह सरकार से सरकार के बीच का सौदा था, इसलिए मुझे 9 फीसदी तक कीमतें घटानी पड़ी.'

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में एरिक ट्रैपियर ने कहा, 'मैं झूठ नहीं बोलता हूं. जो सच मैंने पहले कहा था और बयान में दिया था, वो सच है. मेरी झूठ बोलने की छवि नहीं है. सीईओ के रूप में मेरे जैसे पद पर रहकर आप झूठ नहीं बोलते हैं.'

दसॉ के सीईओ ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को खारिज किया जिसमें राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दसॉ एविएशन ने घाटे में चल रही अनिल अंबानी की कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए 284 करोड़ रुपये निवेश किया है. उन्होंने कहा था, 'बड़ा प्रश्न यह है कि क्यों कोई कंपनी ऐसी कंपनी में 284 करोड़ रुपये निवेश करेगी, जिसकी पूंजी केवल आठ लाख रुपये की है और लगातार घाटे में चल रही है। पूरी तरह स्पष्ट है कि यह निवेश दसॉ द्वारा दी गई रिश्वत की पहली किश्त है.'

राहुल गांधी के आरोपों पर रिलायंस ने भी कहा था कि रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर्स लिमिटेड (आरएडीएल) में दसॉ के निवेश का भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच राफेल विमान सौदे से कोई संबंध नहीं है.

ट्रैपियर ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हम रिलायंस में पैसे नहीं लगा रहे हैं. पैसे संयुक्त उपक्रम (दसॉ-रिलायंस) में जा रहा है. जहां तक औद्योगिक हिस्से की बात है, दसॉ के इंजीनियर और कर्मचारी इसमें नेतृत्व कर रहे हैं.

ट्रैपियर के मुताबिक, 'संयुक्त उपक्रम बनाने का फैसला 2012 के समझौते का हिस्सा था, लेकिन हमने कॉन्ट्रैक्ट साइन होने तक इंतजार किया. जब हमने पिछले साल संयुक्त उपक्रम बनाया था, हमें इस कंपनी में एक साथ 800 करोड़ रुपये 50:50 के रूप में लगाने हैं. संयुक्त उपक्रम में रिलायंस का 51 प्रतिशत और दसॉ का 49 प्रतिशत हिस्सा है.'

उन्होंने कहा, 'काम शुरू करने और कर्मचारियों को पैसे देने के लिए हमने पहले ही 40 करोड़ रुपये लगा दिए. लेकिन यह 800 करोड़ रुपये तक बढ़ेगा. मतलब यह है कि दसॉ को आने वाले 5 सालों में 400 करोड़ रुपये लगाने हैं.'

और पढ़ें : जानिये क्या है राफेल सौदा और इससे जुड़े वाद-विवाद...

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के साथ लंबा अनुभव रहा है. हमारी पहली डील नेहरू के दौरान 1953 में हुई थी. हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे हैं. हम भारतीय वायुसेना और भारत सरकार को रणनीतिक लड़ाकू विमान उपलब्ध कर रहे हैं. यह अधिक महत्वपूर्ण है.

उनहोंने कहा, 'मैं जानता हूं कि कुछ विवाद हैं और मुझे पता है कि चुनावों के वक्त यह एक घरेलू राजनीतिक लड़ाई जैसा है, ऐसा कई देशों में होता है. मेरे लिए सच्चाई महत्वपूर्ण है और सच यह है कि यह साफ-सुथरी डील है और भारतीय वायुसेना इस डील से खुश है.'

Source : News Nation Bureau

राहुल गांधी मोदी सरकार france Anil Ambani Rafale फ्रांस Rafale Deal राफेल डील Dassault CEO eric trappier दसॉ Reliance Defence rahul gandhi modi government
Advertisment
Advertisment
Advertisment