जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के पहले चुनाव में फारुक अब्दुल्ला नीत सात दलों का गुपकर गठबंधन को 280 में से 112 सीटों पर जीत मिली है. वहीं बीजेपी 74 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. केन्द्र शासित प्रदेश के चुनाव आयोग के अनुसार, अभी तक 49 निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है. जम्मू एंड कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) 112 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है. कांग्रेस के हिस्से में 26 सीटें आयी हैं.
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केन्द्र शासित प्रदेश में डीडीसी का चुनाव 28 नवम्बर से शुरू होकर आठ चरणों में पूरा हुआ. अगस्त, 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद प्रदेश में यह पहला चुनाव है. चुनाव में कुल 280 सीटें (जम्मू की 140 और कश्मीर की 140) पर मतदान हुआ है.
डीडीसी चुनावों का परिणाम अनुमान के अनुरुप ही दिख रहा है. जम्मू क्षेत्र में भाजपा मजबूती बनाए हुए है, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन गुपकर का प्रदर्शन कश्मीर घाटी और जम्मू के पीर पंजाल और चेनाब घाटी क्षेत्रों में बेहतर है. ऐसा पहली बार हुआ है जब कश्मीर घाटी में पीडीपी और नेकां के खिलाफ भाजपा को जीत मिली है.
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जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद यहां पहली बार हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों के नतीजों ने राजनीतिक पंडितों के गणित को भी फेल कर दिया है. यहां असल जीत लोकतंत्र की हुई है और ऐसा करने वाली जम्मू-कश्मीर की आवाम ने कई मिथक तोड़ दिए हैं. यहां की आवाम ने ना सिर्फ आतंकवाद और अलगाववाद को दरकिनार किया, बल्कि बेखौफ होकर लोकतंत्र को मजबूत किया. डीडीसी के चुनाव में कश्मीर घाटी में स्थानीय पार्टियों के गुपकार गठबधंन ने दबदबा बरकरार रखा है, तो घाटी में पहली बार बीजेपी ने भी अपना खाता खोला है.