सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अंतिम प्रकाशन की तय सीमा को 31 जुलाई 2019 से आगे नहीं बढ़ाएगी. कोर्ट ने असम के मुख्य सचिव, एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला और चुनाव आयोग को एनआरसी के सत्यापन पर सुनवाई कैसे की जाय, इस पर 7 दिनों के भीतर बैठक कर निर्णय लें. कोर्ट ने कहा कि इसके साथ ही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया भी साथ में चलेगी इसलिए दोनों प्रकियाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए. सभी पक्षों को कहा गया है कि चुनाव और एनआरसी सत्यापन की प्रक्रिया में अधिकारियों का अभाव नहीं होना चाहिए.
असम एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 'अंतिम एनआरसी में अब तक 36.2 लाख लोगों ने अपने नाम के दावे किए हैं, वहीं 31 दिसंबर तक 2 लाख से अधिक लोगों ने ड्राफ्ट में शामिल नामों के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई है. दावों पर सुनवाई से 15 दिन पहले दावेदारों को नोटिस जारी किए जाएंगे जो 15 फरवरी को शुरू होगा.'
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी के ड्राफ्ट से बाहर किए गए करीब 40 लाख लोगों के दावों और आपत्तियों को दाखिल करने की समयसीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी थी. पिछले महीने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की पीठ ने कहा था कि दावे और आपत्ति दाखिल करने वालों को नोटिस जारी करने की शुरुआत 1 फरवरी 2019 से होगी और सत्यापन 15 फरवरी से किया जाएगा.
इससे पहले, यह समयसीमा 15 दिसंबर थी जबकि 15 जनवरी 2019 से नोटिस जारी करने और सत्यापन प्रक्रिया की शुरुआत 1 फरवरी से होनी थी.
क्या है असम एनआरसी का पूरा मामला
यह ड्राफ्ट असम में रह रहे बांग्लादेशी आव्रजकों को अलग करने का लंबे समय से चल रहे अभियान का हिस्सा है. एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया 2013 में शुरू हुई थी. यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन और दिशानिर्देशों के तहत की जा रही है. एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम शामिल होंगे, जो असम में 25 मार्च 1971 के पहले से रह रहे हैं यानी जिनके पास उनके परिवार के इस तारीख से पहले से रहने के सबूत हैं।
पिछले साल 30 जुलाई को जारी किए गए दूसरे और अंतिम ड्राफ्ट से कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर कर दिया गया था जिसके बाद राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था. नागरिकों की ड्राफ्ट सूची में 2.89 करोड़ आवेदकों को मंजूरी दी गई थी. एनआरसी का पहला ड्राफ्ट 1 जनवरी 2018 को जारी किया गया था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ लोगों को नागरिकता मिली थी.
Source : News Nation Bureau