केंद्र की मोदी सरकार ने सुरक्षाबलों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. अवकाश के दौरान सैनिकों पर हमले को लेकर रक्षा मंत्रालय की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया है. इसके मुताबिक छुट्टी पर गए किसी सैनिक की मौत आंतकी और असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए किसी हमले में होती है तो उसे भी ड्यूटी के दौरान ही मौत का मामला माना जाएगा. ऐसे सैनिकों की मृत्यु पर उन्हें शहीदों का दर्जा देकर अनुरुप मुआवजा दिया जाएगा. इस आदेश को तीनों सेनाओं (आर्मी, नेवी और एयरफोर्स) पर लागू कर दिया गया है.
क्यों लिया गया फैसला
दरअसल अभी तक ऐसे मामलों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी. कई मामले ऐसे आ चुके हैं जब सैनिकों की अवकाश के दौरान हमले में मृत्यु हुई हो. अब सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि कोई सैनिक छुट्टी पर अपने घर आया हुआ है या कहीं और भी गया हुआ है। इस दौरान चरमपंथी या असामाजिक तत्वों द्वारा उसे हमले में मार दिया जाता है तो उसे ड्यूटी पर तैनात माना जाएगा. उसके परिजन उसी प्रकार के मुआवजे के हकदार होंगे जो ड्यूटी करने के दौरान मृत्यु होने पर दिए जाते हैं. रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी किए गए स्पष्टीकरण में यह साफ कर दिया गया है कि छुट्टी से तात्पर्य है कि जो भी छुट्टी सैनिकों को नियमतः दी जाती है. गौरतलब है कि कश्मीर में सैनिकों पर हमले के मामले पिछले कुछ समय से बढ़े हैं.
निजी दुश्मनी पर नहीं मिलेगा लाभ
सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि अगर किसी सैनिक की मौत की वजह निजी दुश्मनी है तो ऐसी स्थिति में उसे ड्यूटी के दौरान मौत नहीं माना जाएगा. अगर ऐसे मामले सामने आते हैं तो परिवार के लोग मुआवजे के हकदार नहीं होंगे.
Source : News Nation Bureau