कृषि कानूनों के मसले को लेकर केंद्र सरकार अपने फैसले पर अडिग है. सरकार इन कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं दिख रही है. इस पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्थिति स्पष्ट कर दी है. आज सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा है कि किसानों के साथ वार्ता में जो बातें कही गई थी, जो शर्तें मानी गई थीं, वह अभी भी बरकरार हैं. नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जो प्रस्ताव दिया था, हम उस पर चर्चा के लिए तैयार है.
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किसान आंदोलन पर अब संसद में होगी राजनीति!
सरकार ने कृषि कानूनों पर बहस के लिए विपक्ष की मांग को भी मान लिया है. यानी अब संसद में कृषि कानूनों को लेकर चर्चा की जाएगी. सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस टीएमसी और दूसरे दलों के नेताओं ने कृषि कानून और दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर संसद में बहस कराने की मांग की, जिस पर सरकार सहमत है. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि विपक्ष ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग की है, इसके लिए हम सहमत हैं.
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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में पीएम ने कहा है कि किसानों और सरकार के बीच 11वीं वार्ता में हमने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है. कृषि मंत्री ने कहा था कि वह (किसान) सिर्फ एक फोन कॉल कर दें. जब भी आप कहेंगे तो हम चर्चा के लिए तैयार हैं. यह अभी भी बरकरार है. प्रह्लाद जोशी ने बताया कि विपक्ष ने मांग की है कि लोकसभा में बिल के अलावा चर्चा हो, इसके लिए भी सरकार सहमत है.
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विपक्ष किसानों के साथ, जदयू सरकार के समर्थन में
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. जिसमें लगभग सभी पार्टियों ने हिस्सा लिया. सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद, टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय, शिवसेना सांसद विनायक राउत और शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंडर ने किसान आंदोलन पर बोला. जबकि बिहार में बीजेपी की सहयोगी जेडीयू ने कृषि कानूनों का समर्थन किया है.