राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा है कि मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ लाए गए विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस पर करीब महीने भर विचार किये जाने के बाद फैसला लिया गया।
सूत्रों ने नायडू के हवाले से कहा, 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रताआपको अनुमति देती है, लेकिन अंत में सच ही सामने आता है। मैंने वही किया है और बेहतर तरीके से किया जिसकी मुझसे उम्मीद की जाती है।'
उन्होंने कहा है कि उनका फैसला जजेज़ इंक्वायरी ऐक्ट 1968 के प्रावधानों से तहत है।
फैसले पर उन्हें बदाई देने आए सुप्रीम कोर्ट के 10 वरिष्ठ वकीलों से बातचीत करते हुए कहा, 'मैने अपना काम किया है और मैं उससे संतुष्ट हूं।'
उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति का कार्यालय सिर्फ पोस्ट ऑफिस नहीं है बल्कि संवैधानिक कार्यालय है जो कि उपराष्ट्रपति भी हैं।
सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस देश की न्यायपालिका के सबसे बड़े पदाधिकारी होते हैं और 'उनसे जुड़ा कोई भी मुद्दा जो जनता में आ जाता है उसका निर्धारित प्रक्रिया के तहत तत्काल हल किया जाना चाहिये ताकि वातावरण खराब न हो।'
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उप राष्ट्रपति वेंकैय नायडू ने सात दलों की तरफ से चीफ जस्टिस के खिलाफ दिये गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने सातों दलों के दुराचार के आरोपों को यह कहकर खारिज कर दिया दिया कि इनमें कोई दम नहीं है।
नायडू के फैसले को कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने जल्दबाज़ी में लिया गया अवैध फैसला करार दिया था।
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Source : News Nation Bureau