दिल्ली की एक कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद दायर किए गए आपराधिक मानहानि का मुकदमा दूसरे कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, क्योंकि यह कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, सिर्फ सांसदों और विधायकों से संबंधित मामलों की सुनवाई करता है. एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा ने पक्षों को बताया, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, केवल सांसदों और विधायकों के खिलाफ दायर मामले को रोज एवेन्यू कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया जा सकता है.
कोर्ट ने जिला और सत्र न्यायाधीश के समक्ष 14 अक्टूबर के लिए मामले को उचित आदेशों के लिए सूचीबद्ध किया. अकबर के वकील को मंगलवार को प्रिया रमानी के वकील की अंतिम दलीलों का खंडन करना था. गौरतलब है कि हैशटैगमीटू आंदोलन के मद्देनजर, प्रिया रमानी ने 2018 में अकबर पर करीब 20 साल पहले यौन दुराचार का आरोप लगाया था. इसके बाद अकबर ने केंद्रीय मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया और प्रिया रमानी के खिलाफ एक आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था.उनका कहना था कि प्रिया के आरोप झूठे थे और इससे उनकी प्रतिष्ठा पर दाग लगा है. प्रिया रमानी अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली कई महिला पत्रकारों में से एक हैं.
ये था पूरा मामला
साल 2018 के अक्टूबर-नवंबर के महीने में मी टू मूवमेंट के दौरान तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के ऊपर यौन शोषण के आरोप लगे थे. आपको बता दें कि लगभग 15 महिलाओं ने उनके ऊपर सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए थे. प्रिया रमानी भी उनमें से एक थीं. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए एमजे अकबर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनका यौन शोषण किया था, इसके अलावा एमजे अकबर ने दर्जनो महिला पत्रकारों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया था इस मामले में वो अकेली नहीं हैं.
आरोपों के बाद एमजे अकबर को देना पड़ा था इस्तीफा
प्रिया रमानी का सोशल मीडिया पर आए इस बयान के बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के ऊपर कई और महिलाओं ने ऐसे ही यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे. लगभग 2 दर्जन से ज्यादा महिला पत्रकारों ने यौन शोषण की बात सोशल मीडिया के जरिए कही. मामला बढ़ता गया जिसके बाद एमजे अकबर को मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. उसके बाद अकबर ने प्रिया रमानी पर मानहानि का केस ठोक दिया.
Source : News Nation Bureau