मोदी सरकार (Modi Government) ने देश की सीमाओं की सुरक्षा पर हमेशा से ही विशेष ध्यान दिया है. मोदी सरकार में ना सिर्फ रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) का बजट बढ़ाया गया, बल्कि सशस्त्र बलों (Indian Forces) के लिए उत्तम हथियारों की भी व्यवस्था पर विशेष जोर दिया गया है. इसी के तहत वायुसेना (Indian Air Force) को दुनिया का सबसे तेज लड़ाकू विमान राफेल (Rafale) मिल सका है. तो थलसेना (Indian Army) को भी तमाम अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित किया गया है. अब केंद्र सरकार ने इंडियन नेवी (Indian Navy) को भी और अधिक शक्तिशाली बनाने का फैसला लिया है. इंडियन नेवी को जल्द ही 6 पारंपरिक पनडुब्बियों (Submarines) का एक दस्ता मिलने वाला है. जिससे उसकी ताकत और बढ़ जाएगी. और समंदर के रास्ते भारत को चुनौती देने की किसी की हिम्मत नहीं हुआ करेगी.
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रक्षा मंत्रालय ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक में 'प्रोजेक्ट-75 इंडिया' (Project 75-India) के तहत 6 पारंपरिक पनडुब्बियों के लिए निविदा जारी करने के भारतीय नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इंडियन नेवी ने अपने महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 75 के 6 सबमरीन हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसकी लागत 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है. अब नौसेना ने उन सभी विदेशी विक्रेताओं के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है जिन्होंने इस बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लेने की रूचि दिखाई थी.
बैठक में रक्षा मंत्रालय ने आज रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में खरीदें और बनाओ (भारतीय) श्रेणी के तहत लगभग 6,000 करोड़ रुपये की वायु रक्षा बंदूकें और गोला-बारूद की खरीद के भारतीय सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय उद्योग के लिए नई प्रौद्योगिकियों और उन्नत विनिर्माण क्षमताओं की उपलब्धता आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी निर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए देश की खोज को बढ़ाने और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
बता दें कि इंडियन नेवी प्रोजेक्ट 75 के अंतर्गग ऐसी 6 डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन का निर्माण करवाना चाहती है, जो फिलहाल मुंबई की माजागोन डॉकयॉर्ड्स लिमिटेड में बन रही स्कॉर्पिन सबमरीन से 50 फीसदी बड़ी हो. नौसेना का प्रस्ताव है कि यह सबमरीन 500 किमी रेंज वाली मिसाइलों से लैस हों. इंडियन नेवी के निर्देशों के अनुसार पनडुब्बियों को कम से कम 12 लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइल (LACM) और एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइल (ASCM) के साथ भारी-भरकम मारक क्षमता से लैस होना चाहिए.
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नौसेना ने यह भी निर्दिष्ट किया है कि पनडुब्बियों को समुद्र में 18 हैवीवेट टॉरपीडो ले जाने और लॉन्च करने में सक्षम होना चाहिए. अगली पीढ़ी की पनडुब्बियों को स्कॉर्पीन की तुलना में काफी अधिक मारक क्षमता की आवश्यकता होगी. बता दें कि अभी भारतीय नौसेना के पास 140 से अधिक पनडुब्बियां और सतही युद्धपोत हैं, जबकि पाकिस्तानी नौसेना के पास इनमें से केवल 20 हैं. वहीं दूसरी ओर भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अपना विस्तार करते जा रही चीनी नौसेना का मुकाबला करने के लिए भी तैयार हो रही है.
HIGHLIGHTS
- नौसेना को जल्द मिलेंगी को 6 पारंपरिक पनडुब्बियां
- रक्षा मंत्रालय ने इंडियन नेवी के प्रस्ताव को मंजूरी दी
- इंडियन नेवी के सामने पाकिस्तानी नेवी काफी कमजोर