संसद सत्र के बीच एक अखबार की खबर को लेकर विपक्ष ने सरकार पर फिर से हल्ला बोल दिया. उस खबर का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने भी सुबह-सुबह प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार पर करारा प्रहार किया. जवाब में सरकार की ओर से रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने लोकसभा में मोर्चा संभाला और उन्होंने पलटवार किया. विपक्ष ने एक बार फिर राफेल डील की जेपीसी (Joint Parliamentary Committee) जांच की मांग की, जिसे सरकार ने एक बार फिर ठुकरा दिया.
ANI accesses the then Defence Minister Manohar Parrikar’s reply to MoD dissent note on #Rafale negotiations."It appears PMO and French President office are monitoring the progress of the issue which was an outcome of the summit meeting. Para 5 appears to be an over reaction" pic.twitter.com/3dbGB9xF4Z
— ANI (@ANI) February 8, 2019
आखिर क्या है उस खबर में
अंग्रेज़ी अखबार 'द हिंदू' की ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तो सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से 'समांतर बातचीत' में लगा था. अखबार के मुताबिक 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया कि PMO के दखल के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोज़िशन कमज़ोर हुई. रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम PMO को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए.
Defence Minister Nirmala Sitharaman in Lok Sabha: Then Defence Minister Manohar Parrikar ji replied to that MoD note that remain calm, nothing to worry, everything is going alright. Now, what do you call the NAC led by Sonia Gandhi's interference in earlier PMO? What was that? pic.twitter.com/jB4z5kJCd3
— ANI (@ANI) February 8, 2019
खबर छपने से विपक्ष और आक्रामक
The Hindu की खबर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह सुबह ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधे निशाना साधा. इस रिपोर्ट को लेकर सदन में भी हंगामा हुआ. इस हंगामे पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने अखबार पर सवाल उठाते हुए कहा, "एक समाचारपत्र ने रक्षा सचिव की नोटिंग को प्रकाशित किया. अगर कोई समाचारपत्र एक नोटिंग को छापता है, तो पत्रकारिता की नैतिकता की मांग है कि तत्कालीन रक्षामंत्री का जवाब भी प्रकाशित किया जाए."
दूसरी ओर समाचार एजेंसी ANI की पहुंच उस दस्तावेज़ तक बनी है, जिसमें तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा मंत्रालय के राफेल सौदे से जुड़े असंतुष्टि नोट पर जवाब दिया था - "रक्षा सचिव (जी मोहन) को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव से सलाह-मशविरा कर इस मुद्दे को हल करना चाहिए." पूर्व रक्षा सचिव जी. मोहन कुमार ने भी बयान दिया है कि राफेल की कीमत को लेकर रक्षा मंत्रालय ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी. इसी तरह के एक जवाब में मनोहर पर्रिकर ने कहा, ऐसा लगता है कि बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और फ्रांस के राष्ट्रपति का ऑफिस सीधे इस मामले में नजर रख रहा है.