रक्षा मंत्रालय ने रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के उद्देश्य से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 107 लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट या सब-सिस्टम के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि उसने स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को 107 वस्तुओं की एक सूची का एलान किया है, जिनका एक निश्चित समय सीमा के बाद आयात बंद कर दिया जाएगा. इसमें कई सब-सिस्टम और कंपोनेंट्स शामिल हैं. इन 107 उप-प्रणालियों का आने वाले वर्षों में स्वदेशीकरण किया जाएगा और सूची में उनमें से प्रत्येक के लिए निर्धारित की गई समय-सीमा के बाद इन्हें भारतीय उद्योग से खरीदा जाएगा. रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम-वार और समय-वार सूचियां हैं.
डीपीएसयू करेगा स्वदेशीकरण
इन मदों का स्वदेशीकरण 'मेक' श्रेणी के तहत डीपीएसयू द्वारा किया जाएगा. 'मेक' श्रेणी का उद्देश्य भारतीय उद्योग की अधिक भागीदारी को शामिल करके आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है. उद्योग द्वारा उपकरणों, प्रणालियों, प्रमुख प्लेटफार्मों या उनके उन्नयन के डिजाइन और विकास से संबंधित परियोजनाओं को इस श्रेणी के तहत लिया जा सकता है. डीपीएसयू उद्योग आधारित डिजाइन और विकास के लिए इन चिन्हित एलआरयू/उप-प्रणालियों की पेशकश करेंगे. यह भारतीय उद्योग के लिए प्रमुख रक्षा प्लेटफार्मों के निर्माण की आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत होने का एक बड़ा अवसर होगा.
यह भी पढ़ेंः सेंट्रल विस्टा में चल सकता है संसद का शीतकालीन सत्र, 44 फीसद काम पूरा
आयात पर कम होगी निर्भरता
बयान में कहा गया है, 'इन एलआरयू/सब-सिस्टम परियोजनाओं के स्वदेशी विकास से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और डीपीएसयू की आयात निर्भरता कम होगी.' इसके अलावा यह घरेलू रक्षा उद्योग की डिजाइन क्षमताओं का उपयोग करने में मदद करेगा और इन प्रौद्योगिकियों में भारत को एक डिजाइन लीडर के रूप में स्थापित करेगा. पिछले साल 27 दिसंबर को रक्षा मंत्रालय ने ऐसे ही 2851 उपकरणों की सूची जारी की थी. इन पर एक निश्चित समय सीमा के बाद आयात बंद करने का एलान किया गया था. नई सूची में आयात प्रतिबंध के लिए सूचीबद्ध कुछ कलपुर्जों और उप-प्रणालियों का उपयोग देश में विकसित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच), हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच), हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर (एलयूएच), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, एस्ट्रा मिसाइल, टी-90 टैंक और सैन्य लड़ाकू वाहन के निर्माण के लिए किया जाता है.
HIGHLIGHTS
- भारत वैश्विक स्तर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक
- अगले पांच सालों में 130 अरब डॉलर का आयात करेगा भारत
- पांच साल में रक्षा विनिर्माण में 1.75 लाख करोड़ के कारोबार का लक्ष्य