रक्षा जैसे अहम क्षेत्र में अब सरकार अपनी नीति को कसने में जुटी है. इस क्रम में रक्षा मंत्रालय ( Ministry of Defence ) इन दिन दिनों के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. अगर प्रस्ताव को ग्रीन सग्निल मिलता है तो आने वाले दिनों में डिफेंस सेक्टर ( Defense Sector ) में बड़ा बदलाव दिखाई दे सकता है. दरअसल, नए प्रस्ताव के अनुसार अब सेना, नौसेना और वायु सेना में कमांडर-इन-चीफ (सीएस-इन-सी) जैसे अहम पदों पर अधिकारियों को वरिष्ठता के बजाय योग्यता के आधार पर रखा जाएगा.
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रक्षा मंत्रालय को मिले प्रस्ताव में थ्री-स्टार रैंक (सेना में लेफ्टिनेंट-जनरल, नौसेना में वाइस एडमिरल और IAF में एयर मार्शल) सामान्य रूप से और Cs-in-C (वरिष्ठ थ्री स्टार) रैंक के अधिकारियों को इसमें शामिल किया जा सकता है. जानकारी के अनुसार प्रस्ताव की स्टडी करने और सीएस-इन-सी के चयन के लिए उपयुक्त योग्यता-आधारित मानदंडों की सिफारिश करने के लिए सेना, नौसेना और आईएएफ के उप प्रमुखों की एक तीन स्तरीय कमेटी गठित की जा सकती है. हालांकि, सशस्त्र बलों के भीतर पहले से ही इस प्रस्ताव के खिलाफ आपत्तियां जताई जा रही हैं. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार “अपने करियर में हर कदम पर योग्यता के आधार पर मूल्यांकन के बाद केवल कुछ मुट्ठी भर अधिकारी ही थ्री-स्टार रैंक तक पहुँचते हैं. दशकों से अच्छी तरह से काम करने वाली नीति के साथ छेड़छाड़ क्यों? अधिकारी ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो यह अनावश्यक रूप से शीर्ष रैंकों का राजनीतिकरण होगा.
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वहीं, इस नीति में बदलाव के समर्थक योग्यता के आधार पर नियुक्ति औ चयन की पैरवी करते नजर आते हैं. मौजूदा नीति के अनुसार, सी-इन-सी लेवल पर पदोन्नति एक अधिकारी की जन्म तिथि और लगभग चार दशक पहले उसकी कमीशनिंग की तारीख पर आधारित होती है. यही नहीं सरकार ने इसको लेकर उस समय साफ संकेत दे दिए थे, जब एनडीए सरकार ने जनरल बिपिन रावत को दिसंबर 2016 में उनके वरिष्ठ दो लेफ्टिनेंट-जनरलों को हटाकर सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था. जनरल रावत को दिसंबर 2019 में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में नियुक्त किया गया था.
Source : News Nation Bureau