स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) की पूर्व संध्या पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने देश की सेनाओं को संबोधित किया है. उन्होंने कहा कि मेरे प्यारे सैनिक भाइयों एवं बहनों, आज मध्य रात्रि से भारतवर्ष 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. इस पावन अवसर पर मैं सशस्त्र सेनाओं में कार्यरत आप सभी सैनिकों एवं सैन्य अधिकारियों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं.
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रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं सभी सेवारत कार्मिकों के साथ-साथ थल सेना, नौसेना, वायु सेना एवं तटरक्षक बल के पूर्व सैनिकों को भी शुभकामनाएं देता हूं. मैं उन परिवारजनों को भी बधाई देता हूं जिनके प्रियजन उनसे बहुत दूर कठिन एवं दुर्गम क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि गहरे समुद्र में भी तैनात हैं. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या के इस अवसर पर मेरी संवेदना एवं कृतज्ञता राष्ट्र की रक्षा में अपना जीवन न्योछावर करने वाले उन रणबांकुरों के प्रियजनों के साथ भी है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज मैं गलवान में बलिदान देने वाले सैनिकों को विशेष रूप से स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि देता हूं. यह देश उनकी बहादुरी और उनके सर्वोच्च बलिदान को कभी भुला नहीं सकता है. मैं उनके परिवारों को भरोसा देना चाहता हूं कि वे लोग अकेले नहीं हैं, बल्कि पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा है. हमारी सेनाएं राष्ट्र की रक्षा में अग्रणी हैं, अत: मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सरकार आपका मनोबल ऊंचा बनाए रखने और आपकी Operational Requirement को पूरा करने के लिए वह सब कर रही है जो जरूरी है.
उन्होंने आगे कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारत ने दूसरे देश की जमीन पर कब्जा करने के लिए आज तक कहीं भी और कभी भी हमला नहीं किया है. भारतवर्ष जमीन नहीं दिल जीतने में विश्वास रखता है. परंतु इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि हम अपने स्वाभिमान के ऊपर आंच आने देंगे. राष्ट्रीय सुरक्षा के दायरे में हम जो कुछ भी करते हैं, वह हमेशा आत्मरक्षा के लिए करते हैं, दूसरों पर हमला करने के लिए नहीं. दुश्मन देश ने कभी हमारे ऊपर आक्रमण किया, तो हर बार की तरह हम उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे.
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पीएम मोदी ने सीडीएस के गठन की ऐतिहासिक घोषणा की
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा के क्षेत्र में सुधार की मांग को स्वीकार करते हुए पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस को लालकिला की प्राचीर से CDS के गठन की ऐतिहासिक घोषणा की. CDS के गठन से सेनाओं के बीच और बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया गया है. इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे. आपको याद होगा लंबे समय से भारतीय वायुसेना में नए आधुनिक लडाकू विमानों की कमी महसूस की जा रही थी. हमारी सरकार आते ही पीएम मोदी ने फ्रांस के साथ गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट अग्रीमेंट कर 36 राफेल यथाशीघ्र मंगाने का काम शुरू किया.
उन्होंने यह भी कहा कि खुशी की बात यह है कि राफेल के खेप आने शुरू हो गए हैं. दो सप्ताह पहले पांच राफेल विमान अंबाला एयर बेस पर पहुंचे. बाकी के भी शीघ्र ही आने वाले हैं. भारत में राफेल लड़ाकू विमान का टच डाउन हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है. इसके अतिरिक्त तमिलनाडु के तंजावुर में सुखोई MKI का 222 स्क्वाड्रन खड़ा किया गया है जो ब्रह्मोस मिसाइल से सुसज्जित है. इससे हिन्द महासागर में हमें Strategic Depth मिलती है.
उन्होंने कहा कि मई 2020 को वायु सेना स्टेशन सलूर के 18वें स्क्वाड्रन को एलसीए तेजस के दूसरे खेमे के माध्यम से Revive किया गया है. यह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया गया एक बड़ा कदम है. साथ ही वायुसेना की क्षमता को और प्रबल बनाने के लिए 21 मिग 29 विमान खरीदने की भी मंजूरी दी गई है. सशस्त्र बलों ने हमेशा समय-समय पर देश में किसी भी तरह की आपदा के समय निर्णायक भूमिका निभाई है. वर्ष 2020 इतिहास के पन्नों में कोविड-19 वर्ष के रूप में जाना जाएगा. इस महामारी से पूरा विश्व जैसे थम सा गया है. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा हैं.
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रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा मंत्रालय एवं इसके विभिन्न अंगों अर्थात सशस्त्र बलों, AFMS, DRDO, DPSUs, OFB, छावनी परिषद, भूतपूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड, राष्ट्रीय कैडेट कोर तथा मंत्रालय की अन्य स्वायत्त इकाइयां कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए प्रारम्भ से ही सक्रिय रही हैं. संकट काल में सशस्त्र बलों ने जो सेवा कार्य किया है वह हमें गर्व से भर देता है. DRDO ने गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सशस्त्र बलों, और उद्योग समूहों के साथ मिलकर नई दिल्ली में सरदार वल्लभभाई पटेल कोविड अस्पताल 12 दिन के रिकॉर्ड समय में निर्माण किया गया.
उन्होंने कहा कि साथियों, Border Road Organization यानी सीमा सड़क संगठन के कर्मी भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने अत्यंत दुर्गम परिस्थितिओं में भी कैलाश-मानसरोवर यात्रा और सीमा क्षेत्र कनेक्टिविटी स्थापित कर नए युग की शुरुआत की. उन्होंने उत्तराखंड के धारचूला से सीमा रेखा तक 6,000 से 17,060 फीट की ऊंचाई पर 80 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया है जिसका मई महीने में मुझे उद्घाटन करने का अवसर मिला.
वाजपेयी के सम्मान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतांग सुरंग का नाम ‘अटल सुरंग’ कर दिया
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि इस महत्वपूर्ण Road Connectivity के पूरा होने के साथ ही स्थानीय लोगों एवं तीर्थयात्रियों के दशकों पुराने सपने और आकांक्षाएं पूरी हुई हैं. संपर्क सड़क के पूरा होने से यह मानसरोवर यात्रा एक सप्ताह में पूरी हो सकती है जिसे पूरा करने में पहले 2-3 सप्ताह लग जाया करते थे. पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में उनके जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतांग सुरंग का नाम ‘अटल सुरंग’ कर दिया. इस 8.8 किलोमीटर लंबी सुरंग के सितंबर 2020 तक पूरी होने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि इसके बनने से मनाली और लेह के बीच सड़क मार्ग की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और लाहौल एवं स्पीति के बीच बारह महीने सड़क मार्ग खुला रहेगा. सशस्त्र बलों में महिलाओं का सशक्तिकरण पिछले पांच वर्षों में एक प्रमुख फोकस रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के स्थायी कमीशन के विचार का हमेशा समर्थन किया है और 2018 के अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान उन्होंने इस आशय की घोषणा भी की थी.
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए औपचारिक सरकारी मंजूरी पत्र 23 जुलाई को जारी कर दिया है और इस प्रकार संगठन में बड़ी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए महिला अधिकारियों को अधिकार संपन्न बनाने का रास्ता साफ हो गया है. सरकार ने 10 वर्ष से कम राष्ट्र की अप्रतिम सेवा के दौरान विकलांग हो जाने वाले हमारे सशस्त्र बल कार्मिकों को भी अमान्य पेंशन देने का निर्णय लिया है. पहले यह पेंशन केवल 10 वर्ष या उससे अधिक सेवा करने वाले सशस्त्र बल कार्मिकों को ही दी जाती थी.
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त एक्स ग्रैशिया राशि को चार गुना बढाकर प्रति बैटल कैजुअल्टी (घातक) एवं बैटल कैजुअल्टी (विक्लांगता 60 प्रतिशत एवं उससे अधिक) को मौजूदा दो लाख रुपये से बढ़ाकर आठ लाख रुपये कर दिया गया है. इन्हीं शब्दों के साथ मैं एक बार फिर आपको और आपके परिवार जनों को 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हार्दिक बधाई देता हूं. सैकड़ों वर्षों के भागीरथ प्रयासों एवं लाखों नवयुवकों के अपने प्राणों की आहुति देने के पश्चात् हमने यह स्वतंत्रता पाई है.
उन्होंने कहा कि आज देश को भरोसा है कि आपके तैनात रहते कोई भी ताकत हमारी एक इंच भूमि पर कब्जा नहीं कर सकती. यदि किसी ने यह दुस्साहस किया तो उसे उसके भारी परिणाम भुगतने पड़े है और आगे भी भुगतने पड़ेंगे.