अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग (एससी/एसटी कमीशन) का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की गुजारिश करने वाले हैं।
अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट-1989) के प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद राजनीतिक दलों के साथ-साथ कई संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं।
इनका मानना है कि एक्ट में बदलाव से दलितों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
विपक्षी दलों के अलावा सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कई दलित सांसदों ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर सरकार से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग का हवाला देते हुए तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगा दी थी, साथ ही कोर्ट ने ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान भी जोड़ दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मामला दर्ज होने के पहले जांच की जाएगी उसके बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।
कोर्ट ने कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अधिकारी की इजाजत के बाद ही हो सकती है, जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से हो सकती है। हालांकि यह साफ किया गया है कि गिरफ्तारी की वजहों को रिकॉर्ड पर रखना होगा।
कोर्ट के फैसले के अनुसार, एससी/एसटी एक्ट के तहत झूठे मामलों से बचने लिए सम्बंधित DSP एक शुरुआती जांच कर आरोप तय करेंगे कि क्या कोई मामला बनता है या फिर तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है।
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HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगा दी थी
- विपक्षी पार्टी के साथ बीजेपी के सांसदों ने भी सरकार से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की
Source : News Nation Bureau