पश्चिम बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य में उपचुनाव कराने की मांग को लेकर आज यानी शुक्रवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात करेगा. पश्चिम बंगाल में सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि खुद ममता बनर्जी भी भवानीपुर से चुनाव लड़ सकती हैं. ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ी थी जिसमें उन्हें सहयोगी से प्रतिद्वंद्वी बने भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने मामूली अंतर से हरा दिया था. ममता बनर्जी हार से बाद भी मुख्यमंत्री बनीं रहीं. हालांकि उन्हें सीएम बने रहने के लिए छह महीने के अंदर चुनाव जीतना होगा.
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टीएमसी को मिला था प्रचंड बहुमत
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा में 213 सीटों पर जीत मिली थी. ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं. ममता बनर्जी को नवंबर तक चुनाव जीतना है. दरअसल संविधान के आर्टिकल 164 (4) के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति विधायक या सांसद नहीं है और वह मंत्रिपद पर आसीन होता है तो उसके लिए छह महीने में विधानसभा या विधानपरिषद या संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना अनिवार्य है. अगर मंत्री ऐसा नहीं कर पाता है तो छह महीने बाद वह पद पर नहीं बना रह सकता. ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए चार नवंबर तक विधायक बनना होगा.
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दूसरी तरफ बीजेपी चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है. बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि जब बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ट्रेन तक चलाने की अनुमति नहीं दी जा रही है तो ऐसे में उपचुनाव भी नहीं होने चाहिए. वहीं, चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए तीसरी लहर के असर का आंकलन करना चाहता है. टीएमसी नेताओं का कहना है कि जब राज्य में रोजाना 20 हजार से अधिक मामले आ रहे थे तब भी राज्य में हुए. जबकि अब सिर्फ 1000 के करीब मामले सामने आ रहे हैं. दूसरी तरफ इससे पहले जुलाई मध्य में सुखेंदु शेखर और मोहुआ मोइत्रा सहित टीएमसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने इसी मांग को लेकर दिल्ली में चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था.