Delhi Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हैं. यहां हवा में प्रदूषण का लेवल इस कदर बढ़ गया है कि लोगों को सांस लेने के भी लाले पड़ गए हैं. आलम यह है कि लोगों को आंखों में जलन, खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है. सबसे बड़ा संकट तो अस्थामा और सांस के मरीजों के लिए है. डॉक्टरों ने ऐसे मरीजों के घरों में ही रहने की सलाह दी है. डॉक्टरों का कहना है कि हवा में फैला जहरीला धुआं और धूल सांस के मरीजों के लिए घातक साबित हो सकती है. ऐसे में घर से बाहर निकलते समय या तो मास्क लगाएं या फिर मुंह पर कपड़ा रखकर रखें.
दिल्ली से सटे नोएडा की हालत बेहद खराब
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPBC) के अनुसार राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में आज वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 500 से ऊपर रिकॉर्ड किया गया. दिल्ली से सटे नोएडा में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक(AQI) 'गंभीर' श्रेणी में है. यहां नोएडा के सेक्टर 62 में AQI 428 गंभीर, सेक्टर 116 में AQI 426 गंभीर, सेक्टर 1 में AQI 374 बहुत खराब और सेक्टर 125 में AQI 386 बहुत खराब श्रेणी में दर्ज़ की गई. यही नहीं आसपास के जिलों जैसे मेरठ, गाजियाबाद और अलीगढ़ आदि में वायु प्रदूषण से स्थिति काफी गंभीर है. अलीगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में गिरावट दर्ज़ की गई है. सुबह शहर में धूंध की देखी गई. अलीगढ़ में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ.नीरज त्यागी ने बताया कि प्रदूषण के कारण सांस संबंधित बीमारियों से ग्रसित लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए. सुबह और देर शाम के समय में लोगों को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए.
वायु प्रदूषण से इन-इन बीमारियों का खतरा-
- ब्रॉन्काइटिस
- दिल की बीमारी
- त्वचा संबंधी बीमारियां
- बालों का झड़ना
- स्मॉग से होने वाले बड़े नुकसान
- खांसी, सांस लेने में तकलीफ
- आंखों में जलन
- नाक, कान, गला, फेफड़े में इंफेक्शन
- ब्लड प्रेशर के रोगियों को ब्रेन स्ट्रोक की समस्या
- दमा के रोगियों को अटैक का खतरा
वहीं, AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हमारे पर्यावरण मंत्री लगातार जमीन पर काम कर रहे हैं... दिल्ली के लोगों और सरकार की कड़ी मेहनत के कारण, हमारे पास 200 अच्छे वायु दिवस थे. पंजाब में, हमने पराली जलाने की घटना को 50-67% तक कम किया है.पंजाब में हम हर जगह निगरानी कर रहे हैं, लेकिन अन्य सरकारें निगरानी तक नहीं कर रही हैं. मैंने कल एक रिपोर्ट पढ़ी, जिसमें भारत के 52 सबसे प्रदूषित जिलों में से 22 हरियाणा के हैं, जबकि सिर्फ 2 जिले पंजाब के हैं...हरियाणा में मॉनिटरिंग ही नहीं हो रही तो समाधान कैसे देंगे? समस्याओं से भागते हैं.
Source : News Nation Bureau