सड़कों से पुराने वाहनों को हटाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार लगातार कोशिशें कर रही हैं. पुराने वाहनों की वजह से आए दिन सड़क हादसे, पर्यावरण प्रदूषण के मामले और कई तरह की दिक्कतों का सामना लोगों को करना पड़ता है. देश में पुराने वाहनों को हटाने के लिए केंद्र सरकार ने पुराने वाहनों की स्क्रैप पॉलिसी भी बनाई है. देश भर में मौजूदा समय 2 करोड़ से भी ज्यादा पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं. इन पुराने वाहनों को हटाने के लिए केन्द्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने शुक्रवार को लोकसभा में इसके बारे में जानकारी दी है.
शुक्रवार को पर्यावरण मंत्री अश्विनी चौबे ने लोकसभा में सदन को इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि, मौजूदा समय देश में 20 साल से ज्यादा पुराने वाहनों की संख्या काफी बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि देश में सबसे ज्यादा 20 साल से पुराने वाहन कर्नाटक राज्य में हैं यहां पर 39.48 लाख गाड़ियां पुरानी हैं. वहीं अगर हम दूसरे नंबर पर बात करें तो यह देश की राजधानी दिल्ली है जहां पर 20 साल से भी ज्यादा पुराने वाहन हैं. देश की राजधानी दिल्ली में 36.14 लाख गाड़ियां ऐसी हैं जो कि 20 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं.
राजधानी दिल्ली में बंद होंगी 36 लाख गाड़ियां!
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी गाड़ियों को लेकर एक आदेश दिया था. इसके हिसाब से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहन नहीं चलाए जा सकते हैं. वहीं एनजीटी ने भी इस बात को लेकर साल 2015 में नियम तय किए थे. ऐसे में अब ताजा जानकारी के मुताबिक दिल्ली की सड़कों पर 20 साल से भी ज्यादा पुराने 36 लाख से ज्यादा वाहनों की मौजूदगी कई बड़े सवाल खड़े करती हैं.
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पूरे देश में हैं 2.14 करोड़ पुराने वाहन
केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने संसद में देश के पुराने वाहनों का आंकड़ा बताते हुए सबका ध्यान खींचा. चौबे ने बताया कि पुरानी गाडियों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश और केरल भी कम ऊंचा स्थान नहीं रखते हैं. उत्तर प्रदेश में 20 साल से ज्यादा पुरानी 26.20 लाख गाड़ियां हैं तो वहीं, केरल में 20.67 लाख पुराने वाहन हैं जो कि अभी भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं. चौबे ने आगे बताया कि तमिलनाडु में 15.99 लाख और पंजाब में 15.32 लाख पुरानी गाड़ियां हैं. इस तरह देश में कुल 2.14 करोड़ ऐसी गाड़ियां हैं जो 20 साल से पुरानी हैं और अभी भी सड़कों पर दौड़ रही हैं.
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फिटनेस टेस्ट में फेल होने पर वाहन होंगे स्क्रैप
वहीं वाहन की पंजीकरण अवधि समाप्त होने के बाद सभी वाहनों को अनिवार्य फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा. जो वाहन फिटनेस टेस्ट में पास होगा वही सड़कों पर चलेगा नहीं तो उसे स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत नष्ट कर दिया जाएगा और वाहन मालिक पर चालान भी किया जाएगा. एक यात्री वाहन की अधिकतम उम्र 20 वर्ष तक सीमित कर दी गई है, जबकि कमर्शियल वाहनों की आयु 15 वर्ष होगी. यदि वाहन फिटनेस परीक्षण में विफल हो जाता है, तो इसे end-of-life वाहन के रूप में समझा जाएगा. इस बीच, मालिकों को पुन: पंजीकरण के लिए आवेदन करने के बजाय स्वेच्छा से वाहनों को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट पास नहीं करने वाले वाहन चलाने पर भारी जुर्माना लगेगा और उन्हें जब्त भी किया जाएगा.
HIGHLIGHTS
- देश की सड़कों पर दौड़ रहे हैं 2 करोड़ से ज्यादा पुराने वाहन
- फिटनेस टेस्ट फेल होने पर स्क्रैप पॉलिसी के तहत जब्त होंगे वाहन
- कर्नाटक और दिल्ली हैं पुराने वाहनों के मामलों में सबसे आगे