सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण और कमर्शियल प्रयोजनों के लिए आवासीय परिसरों के दुरुपयोग का हवाला देते हुए कहा कि कुछ दशकों से दिल्ली के अपने ही नागरिकों और अधिकारियों ने इसे बर्बाद कर दिया है।
कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर करते हुए तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, 'पहले आक्रान्ताओं ने दिल्ली को सदियों तक लूटालेकिन पिछले कुछ दशकों से इसे इसके नागरिक और प्रशासनिक अधिकारी ही तबाह करने पर तुले हुए हैं। हम अवैध निर्माण और आवासीय परिसरों का दुरुपयोग औद्योगिक और दूसरे व्यावसायिक कामों के लिये कर रहे हैं।'
न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, 'दिल्ली में कानून के नियम को लागू करने में विफलता के परिणाम आने वाली पीढ़ी के लिए विनाशकारी हो सकता है।'
यह मामला एक निजी कंपनी द्वारा अपनी एक संपत्ति को दायर करने के लिए आवेदन पत्र के समय आया था, जिसे 2007 में मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा सील किया गया था क्योंकि इसका उपयोग कमर्शियल प्रयोजनों के लिए किया गया था
न्यायमूर्ति पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा, 'जो आवास मॉनिटरिंग कम्युनिटी द्वारा सील किये गए थे वे एक लाख रूपये जमा करवाकर कमिटी से कुछ राहत पा सकते है।'
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न्यायमूर्ति पीठ ने कहा, 'दुर्भाग्यवश, स्थिति आज भी वही है और जो पीड़ित हैं, वे दिल्ली के नागरिक न सिर्फ खतरनाक और हानिकारक हवा की सांस लेने से परेशान है बल्कि इससे राजधानी में रहने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।'
सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी समिति से कहा है एक वेबसाइट की स्थापना करें और इन सभी रिपोर्टों को व्यवस्थित करें, जिस पर अनुक्रमित किया गया है ताकि इससे पता चले कि वह नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
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Source : News Nation Bureau