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Delhi CAA Protest: SIT का बड़ा खुलासा, दिल्ली हिंसा में शामिल थे बांग्लादेशी

नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वाले ये बांग्लादेशी दिल्ली के सीमापुरी इलाके में छुपकर गैर कानूनी तरीके से रह रहे थे.

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Ravindra Singh
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प्रतीकात्मक फोटो

दिल्ली सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी( Photo Credit : न्यूज स्टेटस)

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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में हुए 20 दिसंबर को हिंसक प्रदर्शन के दौरान बांग्लादेशियों के शामिल होने की रिपोर्ट आई है. एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि इस हिंसक प्रदर्शन में लगभग 15 से भी ज्यादा बांग्लादेशी नागरिक शामिल थे. आपको बता दें कि नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वाले ये बांग्लादेशी दिल्ली के सीमापुरी इलाके में छुपकर गैर कानूनी तरीके से रह रहे थे. इन बांग्लादेशियों की पहचान कर ली गई है और अब जल्दी ही इनकी गिरफ्तारी भी कर ली जाएगी.

आपको बता दें कि एसआईटी की क्राइम ब्रांच की टीम ने तिहाड़ जेल जाकर दिल्ली के दंगों में शामिल लगभग 55 आरोपियों से पूछताछ करेगी. इसके अलावा इन दंगाइयों को कौन और कैसे फंडिंग कर रहा था इसके भी कुछ सुराग एसआईटी के हाथ लगे हैं. PFI के भी 2 दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं के नाम जांच में आए है इनकी मोबाइल फोन लोकेशन डीटेल खंगाली जा रही है ताकि हिंसा के वक्त सीलमपुर में उनकी मौजूदगी पुख्ता की जा सके

30 दिसंबर को गिरफ्तार हुए थे 300 से ज्यादा बांग्लादेशी
एक तरफ देश में बांग्‍लादेशी घुसपैठियों (Bangladeshi Infiltrators) को बाहर निकालने को लेकर बहस चल रही है, एनआरसी और सीएए (CAA-NRC) पर देश में घमासान मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ भारत (India) की तरफ से बांग्लादेश जाने के दौरान यात्रा दस्तावेजों की कमी के कारण 300 से ज्यादा बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया है. बॉर्डर गार्डस बांग्लादेश (BGB) प्रमुख मेजर जनरल शफीनुल इस्लाम ने रविवार को यह जानकारी दी. बीजीबी प्रमुख 49वें डीजी-स्तर के सीमा समन्वयक सम्मेलन में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के साथ एक ज्वाइंट रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन पर हस्ताक्षर के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे. यह सम्मेलन 25 से 30 दिसंबर तक आयोजित हो रहा है.

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कोर्ट ने 14 आरोपियों को 16 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेजा
बता दें कि कोर्ट ने पिछले दिनों सीलमपुर हिंसा केस में 14 आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. आरोपियों की ओर से पेश किए गए सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन एड मामले में कहा था कि इस मामले में सभी आरोप ज़मानती है. रेबेका ने कहा था कि इस बात की संभावना है कि वो नमाज अता करने के लिए इकट्ठे हुए हो, लेकिन पुलिस ने जिसे देखो, उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपियों में से एक की उम्र 15 वर्ष है. जब अदालत ने उसकी उम्र जानने के लिए उसकी आईडी मांगी तब उसने जवाब दिया कि उसकी आईडी उसके फोन में है और वो पुलिस के कब्जे में है.

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पुलिस का दावा लड़के उम्र 15 नहीं 23 साल
वहीं, पुलिस अधिकारियों ने इस बात का दावा किया है कि इस लड़के की उम्र 15 वर्ष नहीं बल्कि 23 वर्ष है. आरोपियों के वकील ने कहा कि ये डेली वेज पर काम करते हैं, कारपेंटर हैं. वो एक दूसरे को जानते तक नहीं है, फिर कॉमन इंटेंशन कैसे हो सकता है. वो वहां नमाज पढ़ने के लिए आए थे और पुलिस ने जिसे चाहा, उसे पकड़ लिया पुलिस का मकसद बस उन्हें किसी तरह कस्टडी में रखना है. वहीं, सरकारी वकील ने कहा कि सीलमपुर हिंसा मामले में अभी जांच जारी है. प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाया गाड़ियां फूंकी गई एक सुनियोजित साजिश के तहत ये सब हुआ इसलिए कोर्ट से आग्रह किया कि सभी आरोपियों को जेल भेजा जाए.

Source : News Nation Bureau

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