दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) ने बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे.अकबर के आपराधिक मानहानि मामले (MJ Akbar defamation case) में पत्रकार प्रिया रमानी (Journalist Priya Ramani )को बरी कर दिया है. फैसला सुनाते हुए कोर्ट (Court) ने कहा कि एक महिला को घटना के दशको बाद भी अपनी शिकायत रखने का अधिकार है. समाजिक यौन शोषण की शिकार महिला पर पड़ने वाले असर को समझना होगा.ऐसी घटनाएं उसका आत्मविश्वास और उसकी गरिमा छीन लेती है. कोर्ट ने आगे कहा कि एक ऊंचे समाजिक हैसियत रखने वाला शख्स भी यौन शोषण करने वाला हो सकता है. किसी की प्रतिष्ठा के अधिकार का हवाला देकर किसी( महिला) की गरिमा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता.
पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में बरी होने के बाद इसे 'महिलाओं और मीटू आंदोलन' के लिए एक जीत बताया है। उन्होंने कहा कि अदालत के सामने सत्य को प्रमाणित होते देख बहुत अच्छा लगा. वहीं मी टू इंडिया ने ट्वीट किया है, 'हमने ये लड़ाई जीत ली है. अभी कहने के लिए शब्द नहीं हैं. बस आंख में आंसू हैं, रोंगटे खड़े हो रहे हैं. सभी के साथ एकजुटता. हम प्रिया रमानी की हिम्मत के आभारी हैं.'
I am feeling amazing, to have my truth vindicated in a court of law is really something: Priya Ramani on being acquitted in a criminal defamation case against her pic.twitter.com/xytkM0WENF
— ANI (@ANI) February 17, 2021
No words right now... Just tears, goosebumps, solidarity to all. We owe a depth of gratitude to the courage of Priya Ramani. https://t.co/ndqCpDs0D1
— #MeTooIndia (@IndiaMeToo) February 17, 2021
बता दें कि रमानी ने अकबर पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. रमानी ने 2018 में हैशटैग मीटू आंदोलन के मद्देनजर, अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इसके फलस्वरूप अकबर ने रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था और केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.
मुकदमा 2019 में शुरू हुआ और लगभग दो साल तक चला. 2017 में, रमानी ने वोग के लिए एक लेख लिखा, जहां उन्होंने नौकरी के साक्षात्कार के दौरान एक पूर्व बॉस द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने के बारे में बताया. एक साल बाद, उसने खुलासा किया कि लेख में उत्पीड़न करने वाला व्यक्ति एमजे अकबर था.
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अकबर ने अदालत को बताया कि रमानी के आरोप काल्पनिक थे और इससे उनकी प्रतिष्ठा पर ठेस पहुंची. दूसरी ओर, प्रिया रमानी ने इन दावों का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने विश्वास, सार्वजनिक हित और भलाई के लिए यह आरोप लगाए हैं. मामले में निर्णय महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इसी तरह के समान मामलों के लिए एक मिसाल कायम करता है, जो मीटू आंदोलन से उत्पन्न हुआ है.
Source : News Nation Bureau