दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर की मानहानि याचिका को लेकर मंगलवार को कहा कि वह 29 जनवरी को निर्णय करेगी कि रमानी को तलब किया जाए, या नहीं. अकबर की वकील और वरिष्ठ वकील गीता लूथरा और वकील संदीप कपूर द्वारा रमानी को तलब करने के मामले में बहस समाप्त होने के बाद, अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल ने फैसला सुरक्षित रख लिया.
वकील ने अदालत से कहा कि रमानी ने अकबर की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है, जो उन्होंने कठिन मेहनत कर के वर्षों में हासिल किया है. उन्होंने कहा कि रमानी के अपमानजनक बयान ने लोगों की नजरों में उनकी छवि को धूमिल किया है.
पत्रकार ने अक्टूबर 2018 में ट्वीट कर एक आलेख पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था, 'मैं एम.जे. अकबर की कहानी के साथ इसकी शुरुआत करती हूं. कभी उनका नाम नहीं लिया, क्योंकि उन्होंने कुछ भी नहीं 'किया', महिलाओं के पास इस राक्षस (प्रीडेटर) के बारे में इससे भी खराब कहानियां हैं- संभव है वे साझा करें.'
अकबर के वकील ने अदालत से कहा कि रमानी ने गलत ढंग से आरोप लगाया, क्योंकि उन्होंने स्वीकार किया था कि अकबर ने उनके साथ कुछ नहीं किया. वकील ने अदालत से रमानी को मामले में आरोपी के रूप में तलब करने का आग्रह करते हुए कहा कि रमानी की भाषा काफी अपमानजनक थी.
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अदालत बीजेपी नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री अकबर द्वारा रमानी के खिलाफ मानहानि मामले की सुनवाई कर रही थी. अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगानी वाली महिला पत्रकारों में रमानी पहली महिला थी.
अकबर समेत 7 प्रत्यक्षदर्शियों के बयान रिकार्ड किए जा चुके हैं. राज्यसभा के सदस्य अकबर ने सभी आरोपों से इनकार किया था और इसे 'फर्जी और बेबुनियाद' बताया था.
Source : IANS