Delhi Excise Policy Case: राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया. हालांकि एजेंसी ने केजरीवाल की 10 दिन की रिमांड मांगी थी. कथित दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार देर शाम सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. शुक्रवा को आप प्रमुख को विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत में पेश किया गया. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, विक्रम चौधरी और रमेश गुप्ता के साथ वकील रजत भारद्वाज, मुदित जैन और मोहम्मद इरशाद दिल्ली के सीएम केजरीवाल की ओर से पेश हुए.
वहीं ईडी की ओर से कोर्ट में एसजी एसवी राजू और विशेष वकील जोहेब हुसैन पेश हुए. अदालत के समक्ष अपनी दलीलों में, ईडी ने आरोप लगाया कि दिल्ली के सीएम व्यवसायियों से रिश्वत मांगने में मुख्य साजिशकर्ता और सरगना हैं. एजेंसी ने आगे दावा किया कि केजरीवाल सीधे तौर पर उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण में शामिल थे.
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ईडी के वकील ने दावा किया कि विजय नायर, जो AAP के मीडिया प्रभारी थे, दिल्ली के सीएम केजरीवाल के लिए काम कर रहे थे. नायर, जिसके बारे में एजेंसी ने कहा था कि वह केजरीवाल के आवास के बगल में रहतें हैं, ने आप और दक्षिण समूह के बीच बिचौलिए के रूप में काम किया. ईडी के वकील ने आगे दावा किया कि अपराध की आय न केवल 100 करोड़ रुपये है, बल्कि रिश्वत देने वालों द्वारा कमाया गया मुनाफा भी अपराध की आय है. वकील ने कहा कि एजेंसी ने 45 करोड़ रुपये के हवाला ट्रेल्स का पता लगाया है जिनका इस्तेमाल गोवा चुनाव में किया गया था.
एएसजी एसवी राजू ने कहा कि AAP एक लाभार्थी है जो एक कंपनी के रूप में मौजूद है. कंपनी के संचालन के लिए प्रत्येक व्यक्ति जिम्मेदार है. एक व्यक्ति के रूप में उत्तरदायी होने के अलावा, मुख्यमंत्री परोक्ष रूप से भी उत्तरदायी हैं.
एएसजी ने कहा कि कथित घोटाले में उनकी भूमिका के अलावा आप के माध्यम से केजरीवाल की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. वकील ने आगे कहा कि केजरीवाल तलाशी के दौरान सहयोग नहीं कर रहे थे. ईडी ने आगे आरोप लगाया कि केजरीवाल आप के सभी मामलों के लिए जिम्मेदार हैं. वह पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं. रिश्वत नकद में आई और इसका इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव में किया गया. वकील ने कहा कि, उत्पाद शुल्क नीति एक घोटाला है, इसे केवल गोवा चुनावों के लिए फंडिंग के लिए बनाया गया था.
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केजरीवाल की ओर से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रिमांड याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि एजेंसी को गिरफ्तारी की आवश्यकता को साबित करने की जरूरत है. सिंघवी ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी की शक्ति और गिरफ्तारी की आवश्यकता दो अलग-अलग चीजें हैं. सिंघवी ने कहा कि आजादी के 75 साल के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी मौजूदा सीएम को गिरफ्तार किया गया है, पहली बार उनकी पार्टी के चार नेताओं को गिरफ्तार किया गया है. सिंघवी ने आगे कहा कि यह पहला वोट पड़ने से पहले ही नतीजे आने जैसा है.
सिंघवी ने कहा कि 80 फीसदी लोगों ने केजरीवाल या उनके साथ किसी लेन-देन का जिक्र नहीं किया है. सिंघवी ने तर्क दिया कि कोई भी रिमांडिंग कोर्ट स्वचालित रबर स्टांप नहीं है. सिंघवी ने दलील दी कि ईडी के अनुसार केजरीवाल को असहयोग के कारण गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सभी आवश्यक दस्तावेज पहले से ही एजेंसी के पास थे और उन्हें 'व्यक्तिगत रूप से' बुलाना उन्हें अवैध रूप से गिरफ्तार करने की एक चाल थी और वर्तमान मामला स्पष्ट रूप से दुर्भावना का मामला है.
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केजरीवाल के वकील ने आगे कहा कि उनके द्वारा बताई गई विभिन्न विसंगतियों और कानूनी कमियों से निपटे बिना, ईडी ने धारा 50 पीएमएलए के तहत बैक-टू-बैक साइक्लोस्टाइल्ड समन जारी कर उन्हें पेश होने का निर्देश दिया. सिंघवी ने आगे कहा कि इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है. प्रवर्तन निदेशालय के पास ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिसके आधार पर केजरीवाल को किसी अपराध का दोषी माना जा सके, उन्हें ईडी द्वारा अवैध रूप से और मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जा रहा है.