दिल्ली सरकार ने अरविन्द केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई एक मीटिंग के बाद लेफ़्टिनेंट जनरल नजीब जंग को शुंगलू कमिटी भंग करने की पेशकश की है। दरअसल लेफ़्टिनेंट जनरल ने एक कमिटी बनाई है जिसमे दिल्ली सरकार के द्वारा लिए गए फ़ैसलों से सम्बंधित 400 फाइल को मंगवाकर उसकी जांच की जाएगी।
दिल्ली सरकार का कहना है कि सरकार के काम-काज की जांच रिपोर्ट तैयार करना राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता इसलिए वो कमिटी को अविलम्ब बर्ख़ास्त करें। उन्होंने कहा कि गत चार अगस्त को हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले की उपराज्यपाल ने गलत व्याख्या की है। शुंगलू कमेटी का गठन और कामकाज से इसका कोई लेनादेना नही है। संविधान में उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार के अधिकारों की साफ-साफ व्याख्या की गई है।
हालांकि दिल्ली सरकार की सलाह पर उपराज्यपाल नजीब जंग ने सवाल खड़े किए हैं। शुक्रवार देर शाम उपराज्यपाल नजीब जंग की ओर से जारी बयान मे कहा गया कि सरकार द्वारा लिए गए फैसलों की चार सौ फाइलों की सच्चाई सार्वजनिक होगी तब लोगों को इसे छिपाने के सही कारण का पता चल पाएगा। दिल्ली सरकार ने अगर निष्पक्ष होकर काम किया है तो कमेटी की जांच से क्यों घबरा रही है। एक चुनी हुई सरकार कमेटी द्वारा सच्चाई को सामने लाए जाने से क्यों घबरा गई है।
उपराज्यपाल ने कहा कि सरकारी कामकाज में कमेटी का गठन सामान्य बात है। पूर्व कैग प्रमुख वीके शुंगलू की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी में देश के सक्षम लोग हैं। कमेटी अगले छह सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौपेंगी। दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को सिर्फ सफाई देने के लिए बुलाया जाता है। उन्हें कामकाज बंद करने के लिए नहीं कहा गया है जैसा कि सरकार प्रचारित कर रही है।
Source : News Nation Bureau