कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. महामारी (COVID-19) हर रोज नया रिकॉर्ड बना रही है. प्रतिदिन लाखों की संख्या में नए मरीज सामने आने से पूरे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का जनाजा निकल चुका है. अस्पतालों में बेड्स, दवाएं और ऑक्सीजन की भारी किल्लत (Oxygen Shortage) से मरीजों की हालात काफी खराब है. ऑक्सीजन के अभाव में कोरोना मरीज तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं. दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर आज (सोमवार को) दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को फटकार लगाई.
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हाईकोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि दिल्ली को प्रतिदिन 480 मेट्रिक टन ऑक्सीजन अलॉट हुआ है लेकिन 340 मेट्रिक टन भी ऑक्सीजन सप्लाई होती है तो हालात में सुधार हो सकता है. केंद्र सरकार ने कहा कि हमारी कोशिश 480 मैट्रिक टन की है. केंद्र सरकार ने कहा कि ऑक्सीजन सप्लाई का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है खाली टैंकरों को एयरलिफ्ट किया गया है, ट्रेनों को भी इस काम में लगाया गया है.
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को ऑक्सीजन के आवंटन की जानकारी देते हुए बताया कि कभी महाराष्ट्र में मांग ज्यादा होती है. आज बेंगलुरु में मांग ज्यादा है. केंद्र ने कहा कि राज्यों को दोबारा भी ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है, यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट को ऑक्सीजन के इस्तेमाल को लेकर डॉक्टरों को जारी किए गए निर्देश की जानकारी दी. केंद्र ने हाईकोर्ट को बताया कि कभी-कभी मरीजों को 3 घंटे की ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन उनको 5 घंटे का ऑक्सीजन दिया जा रहा है. केंद्र ने कहा कि ऐसे वक्त में मरीज को उतना ही ऑक्सीजन देना चाहिए जितने ऑक्सीजन की उसको जरूरत हो ताकि इससे ऑक्सीजन की बर्बादी को रोका जा सके.
वहीं केंद्र सरकार की दलीलों से दिल्ली हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा ने कहा कि केंद्र सरकार कह रही है कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, जिसे हम नहीं मान सकते क्योंकि हम जमीनी हकीकत को खुद देख रहे हैं कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र उन सभी उद्योगपतियों से अपील कर सकता है जो ऑक्सीजन संकट के वक्त मदद के लिए आगे आने को तैयार हो सकते हैं. SG तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने निर्देश जारी किया है कि जिसके पास भी ऑक्सीजन है,ऑक्सीजन की प्रत्येक बूंद चिकित्सा उपयोग के लिए उसके पास आएगी.
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इसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कोरोना टेस्ट सेंटर बढ़ाने के निर्देश दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने RT PCR टेस्टिंग के इन्फ्राट्रक्चर को अपग्रेड करने को कहा. वहीं पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट में भी केंद्र और दिल्ली सरकार उस वक्त आमने-सामने आ गई जब कोर्ट ने दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी होने की बात कही. इस पर केंद्र सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने उद्योगपति सज्जन जिंदल को लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा कि ऑक्सीजन को राष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति होनी चाहिए. अगर राज्य अपने स्तर पर खुद से ही ऑक्सीजन हासिल करने लगे तो बड़ी अजीब सी स्थिति पैदा हो जाएगी.
केंद्र की दलील के बाद दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों से ऑक्सीजन टैंकर की मांग की थी और यदि उनके पास ऑक्सीजन बची हो तो उसके लिए भी मांग थी. जिस पर केंद्र सरकार ने कहा कि अगर बची हुई ऑक्सीजन की भी बात है तो ये पहले केंद्र के पास आनी चाहिए.
जिसके बाद कोर्ट ने कहा हमने दिल्ली सरकार को केवल टैंकरों की ही अपने स्तर पर व्यवस्था करने को कहा था. जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल की तरफ से कहा गया कि हमने इमेरजैंसी की स्थिति में SOS कॉल किया पर उसका जवाब नहीं मिला. हमें कृपया सरकार बताए कि हमें अपने यहां मरीजो की मौत से कितनी देर पहले कॉल करना शुरू कर देना चाहिए. हमें 3.6 मैट्रिक टन ऑक्सीजन व कल शाम तक चाहिए.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सज्जन जिंदल जैसे उद्योगपतियो से बात कर ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट के लिए केवल टैंकर की व्यवस्था करने की इजाजत दी है. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ऑक्सीजन की सप्लाई केन्द्र सरकार के जरिए ही होगी. केंद्र का कहना था कि राज्य सरकार अगर खुद बिजनेसमैन से बात कर , बिना केंद्र को विश्वास में लिए आक्सीजन हासिल करेंगे तो ये भ्रम की स्थिति ही पैदा करेगा.
HIGHLIGHTS
- हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से उद्योगपतियों से मदद लेने को कहा
- केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा- युद्धस्तर पर काम चल रहा है
- केंद्र ने डॉक्टरों से ऑक्सीजन को बर्बाद ना करने को भी कहा