दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को जेल प्रशासन को निर्देश दिया किया कि वह जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा के पैरोल आवेदन पर एक हफ्ते में फैसला ले. शर्मा करीब 17 साल जेल में बिता चुका है और पारिवरिक जरूरतों के लिए आठ हफ्ते का पैरोल देने का आवेदन किया है. शर्मा के वकील ने मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर को बताया कि उनके मुवक्किल की पैरोल की अर्जी जेल प्रशासन के पास करीब नौ महीने से लंबित है जबकि इस पर फैसले के लिए चार हफ्ते की जरूरत होती है.
न्यायालय ने कहा, ‘जेल प्रशासन को निर्देश दिया जाता है कि वह शर्मा की पैरोल अर्जी को एक हफ्ते के भीतर निपटाए.’ शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप नंदराजोग और वकील अमित साहनी ने बताया कि उनके मुवक्किल को समाज और परिवार से जुड़े रहने के लिए आठ हफ्ते के पैरोल पर रिहा किया जाए. उन्होंने बताया कि शर्मा की अर्जी करीब नौ महीने से जेल प्रशासन के समक्ष लंबित है और वह फैसला नहीं कर रहा, इसलिए वह इस देरी को चुनौती दे रहे हैं. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा ने कहा कि शर्मा को पहले जेल प्रशासन के फैसले का इंतजार करना चाहिए और उसके बाद जरूरत पड़ने पर उच्च न्यायालय का रुख करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि शर्मा पहले ही खुली जेल में है जिसका मतलब है कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक वह जेल की सीमा से बाहर काम करने जा सकते हैं. इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘लेकिन वह (शर्मा) इस अवधि में घूम नहीं सकते.’’ उल्लेखनीय है कि शर्मा ने एक और याचिका दायर कर समय पूर्व रिहा करने का अनुरोध किया है जो अदालत में लंबित है. उच्च न्यायालय ने इस मामले में दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया है. शर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा का बेटा है और 1999 में रेस्तरां में शराब परोसने से मना करने पर उसने जेसिका लाल की हत्या कर दी थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2006 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसकी पुष्टि 2010 में उच्चतम न्यायालय ने की.
Source : Bhasha