दिल्ली हाई कोर्ट से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र कन्हैया कुमार को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने जेएनयू प्रशासन द्वारा छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया पर लगाए गए दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'कन्हैया कुमार के खिलाफ जेएनयू का आदेश अवैध, तर्कहीन और अनियमित है। जेएनयू प्रशासन इस मामले की ढंग से जांच करें।'
दो साल पहले कैंपस में कथित रूप से भारत विरोधी नारे लगाने के मामले में यूनिवर्सिटी की उच्च स्तरीय कमिटी ने कन्हैया कुमार पर दस हज़ार का जुर्माना लगाया था।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के सदस्य कन्हैया कुमार 2016 में जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष थे।
पांच सदस्यीय पैनल ने अनुशासनिक मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए 13 अन्य जेएनयू छात्रों पर भी जुर्माना लगाया था।
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बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को 20 जुलाई तक कन्हैया कुमार के खिलाफ सख्त कदम न उठाने के निर्देश दिए थे। 2016 की घटना के सबंध में यूनिवर्सिटी के एक पैनल ने दस हज़ार का जुर्माना लगाया था।
वकील तरन्नुम चीमा और हर्ष बोरा की तरफ से कन्हैया कुमार की याचिका कोर्ट में दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने चार जुलाई को जेएनयू द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की मांग की है।
यूनिवर्सिटी ने चार जुलाई को अपने आदेश में कन्हैया को अनुशासन के नियमों और जेएनयू के छात्रों के उचित आचरण की धारा 3 के तहत दोषी ठहराते हुए 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
धारा 3 छात्रों के किसी कृत्य को कुलपति या किसी अन्य संबंधित प्राधिकारी द्वारा अनुशासन या आचरण का उल्लंघन मानने पर लगाई जाती है।
आदेश 11 फरवरी, 2016 को स्थापित एक उच्चस्तरीय जांच समिति द्वारा रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है।
एक उच्चस्तरीय जांच में छात्र-कार्यकर्ता उमर खालिद, कन्हैया कुमार और अनिर्बान भट्टाचार्य फरवरी 2016 में एक मामले में दोषी पाए गए थे, जिसमें छात्रों के एक समूह ने कथित रूप से देश विरोधी नारे लगाए थे।
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Source : News Nation Bureau