नए आईटी नियमों पर अमल को लेकर ट्विटर के जवाब पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने ट्विटर से कहा कि एक हफ्ते में बेहतर हलफनामा दायर करे जिसमें चीफ कंप्लायंस अधिकारी, रेजिडेंट ग्रीवंस अधिकारी का स्पष्ट उल्लेख हो. साथ ही नोडल अधिकारी की नियुक्ति कब तक होगी, इसका भी उल्लेख करें. इस मामले में अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी. सरकार की ओर से ASG चेतन शर्मा ने कहा - ट्विटर ने 7 मिलियन डॉलर से ज़्यादा का कारोबार किया है , फिर भी उन्हें अधिकारियों की नियुक्ति में दिक्कत हो रही है. दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपे गए जवाब में ट्विटर ने यह बताया था कि भारत में एक ग्रीवांस अधिकारी की नियुक्ति को औपचारिक रूप देने के लिए कदम उठाए जाने से पहले अंतरिम शिकायत अधिकारी ने 21 जून को अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी. ट्विटर के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में 28 मई को वकील अमित आचार्य ने शिकायत दर्ज कराई थी. इसी महीने 8 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ट्विटर के खिलाफ सख्ती दिखाई थी और कहा कहा था कि अगर वह भारत के नए आईटी नियमों को लागू नहीं करता है तो उसे किसी भी तरह का कानूनी संरक्षण नहीं दिया जा सकता.
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क्या है पूरा मामला?
ट्विटर ने विनय प्रकाश को भारत में रेजीडेंट ग्रीवांस अधिकारी बनाया था. मालूम हो कि धर्मेंद्र चतुर ने 21 जून को अपना पद छोड़ दिया था, जिसके बाद ट्विटर ने कैलिफोर्निया स्थित जेरेमी केसल को भारत के लिए नया शिकायत अधिकारी नियुक्त किया था. हालांकि, केसल की नियुक्ति नए आईटी नियमों के अनुरूप नहीं थी, इसलिए केसल की जगह विनय प्रकाश को दी गई है.
दरअसल, शिकायत अधिकारी की नियुक्ति में एक मानदंड यह भी है, कि अधिकारी भारत का ही निवासी होना चाहिए. जिसे भारत में संचालित ट्विटर या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत पालन करना होता है. धर्मेंद्र चतुर के इस्तीफे के बाद कैलिफोर्निया स्थित जेरेमी केसल की नियुक्ति हुई थी, जो इस नियम का पालन नहीं करती थी. लिहाजा केसल को हटाना पड़ा, क्योंकि इन नियमों में कहा गया है कि शिकायत निवारण अधिकारी सहित सभी नोडल अधिकारी भारतीय होने चाहिए. हालांकि नए रेजीडेंट ग्रीवांस अधिकारी की नियुक्त को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में ट्विटर ने बताया था कि वह भारत में एक रेजीडेंट ग्रीवांस अधिकारी की नियुक्ति के अंतिम चरण में है.
क्या है विवाद की जड़?
दरअसल, सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट के अलावा गलत या भ्रामक पोस्ट को रोकने के मकसद से भारत सरकार नए आईटी नियम लेकर आई थी. इसके तहत कंपनियों को मैसेज के स्रोत की जानकारी सरकार को देने के अलावा आपत्तिजनक सामग्री को 36 घंटे के भीतर हटाना होगा. भारत सरकार के नए आईटी नियमों को फेसबुक, गूगल समेत अन्य प्लेटफॉर्म मानने को राजी हो गए, मगर ट्विटर अपनी मनमानी करने पर उतर आया. जिसके बाद भारत सरकार और ट्विटर के बीच बीते दिनों जबरदस्त तकरार देखने को मिली थी.
HIGHLIGHTS
- नए आईटी नियमों पर अमल को लेकर ट्विटर के जवाब पर दिल्ली उच्च न्यायालय को नाराजगी
- एक हफ्ते में बेहतर हलफनामा दायर करने का आदेश
- इस मामले में अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी