आप विधायकों को राहत: HC ने कहा बरकरार रहेगी सदस्यता, दोबारा सुनवाई करे चुनाव आयोग

दिल्ली हाई कोर्ट ने लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने विधायकों को अपना पक्ष रखने के लिए दूसरा मौका देते हुए चुनाव आयोग से फिर से सुनवाई करने को कहा है।

author-image
Narendra Hazari
एडिट
New Update
आप विधायकों को राहत: HC ने कहा बरकरार रहेगी सदस्यता, दोबारा सुनवाई करे चुनाव आयोग

दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल (फाइल)

Advertisment

दिल्ली हाई कोर्ट ने लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने विधायकों को अपना पक्ष रखने के लिए दूसरा मौका देते हुए चुनाव आयोग से फिर से सुनवाई करने को कहा है।

हाई कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह सभी विधायकों से मिलेंगे।

अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले के बाद ट्वीट में कहा, 'सत्य की जीत हुई। दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को ग़लत तरीक़े से बर्खास्त किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया। दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत। दिल्ली के लोगों को बधाई।'

बता दें कि इससे पहले 30 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से अयोग्य विधायकों की याचिका पर लिखित जवाब मांगा था।

19 जनवरी को चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन 20 विधायकों की सदस्यता को रद्द करने को स्वीकार कर लिया था जो अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार के द्वारा संसदीय सचिव नियुक्त किए गए थे।

और पढ़ें: INX मीडिया केस में कार्ति चिंदबरम को हाई कोर्ट से मिली सशर्त जमानत

हाई कोर्ट ने 24 जनवरी को चुनाव आयोग को अपना आदेश जारी किया था, जिसमें उसने आयोग को उप-चुनाव के लिये नोटिफिकेशन जारी न करने का आदेश दिया था।

लाभ के पद मामले में इन आप विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। जिसके खिलाफ इन विधायकों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

क्या है मामला-

बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था। जिसके बाद प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी।

इसके बाद चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों को कारण बताओ नोटिस दिया था।

साल 2015 के मार्च में आप सरकार दिल्ली की विधानसभा में दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्य निवारण) अधिनियम 1997 पारित किया था, जिसमें संसदीय सचिव के पद को 'लाभ के पद' की परिभाषा से बाहर रख दिया था और यह कानून पिछली तिथि से लागू किया था।

हालांकि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस कानून को अपनी सहमति नहीं दी थी।

इसके बाद इन नियुक्तियों को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 2016 के सितंबर में अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया गया, क्योंकि यह आदेश 'लेफ्टिनेंट गवर्नर की सहमति/अनुमोदन के बिना' पारित किया गया था।

और पढ़ें: अन्ना ने शुरू किया अनशन, कहा- 42 चिट्ठियों का सरकार ने नहीं दिया जवाब

Source : News Nation Bureau

High Court ECI AAP aam aadmi party Delhi High Court MLA office of profit Disqualify ECI recommendations connection
Advertisment
Advertisment
Advertisment