प्रदूषण (Pollution In Delhi-NCR) के चलते स्मॉग (Smog in Delhi) से बीते तीन-चार साल दिल्ली का दम फूल रहा है. इसके लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल केंद्र की मोदी सरकार पर तो कभी हरियाणा और पंजाब की पराली को जिम्मेदार ठहराते हैं. वहीं केंद्र सरकार केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़े करती है लेकिन फौरी उपायों के चलते यह बीमारी घटने की बजाय बढ़ती ही जा रही है. लेकिन चीन की तरह हमारी सरकारें इस मर्ज पर कभी ध्यान नहीं दीं. अब से पांच-छह साल पहले तक चीन भी कुछ ऐसी ही परिस्थियों से जूझ रहा था. वहां वायु प्रदूषण से हर साल पांच लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती थी. बीजिंग का हर शख्स मास्क पहनकर घूमता नजर आता था. लेकिन अब चीन में ये हाल नहीं है. चीन ऐसा क्या किया कि गैस चेंबर बन चुके उसके अधिकतर शहरों में 35 फीसदी तक प्रदूषण कम हो गया, आइए आनें कैसे हुआ ये सब..
- शियान शहर में 100 मीटर ऊंचा दुनिया का सबसे बड़ा एयर प्यूरिफायर बनाया गया
- चीन में रेड लाइन पॉलिसी के तहत जंगलों, नदियों, नेशनल पार्क के आसपास किसी तरह का कंस्ट्रक्शन नहीं हो सकता.
- राष्ट्रीय स्तर पर वनरोपण प्रोग्राम बनाया गया और लक्ष्य रखा गया कि 2020 तक देश में जंगलों को 23% बढ़ाना है.
- चीन ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण कम करने के लिए नेशनल पॉलिसी तो बनाई
- सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की पहचान करके वहां कुछ और कदम उठाए. 82 शहरों में प्रदूषण के अलग-अलग स्वरूप और कारणों का पता लगाया गया.
- जहां कृत्रिम बारिश की जरूरत पड़ी, वहां बारिश कराई
- चीन ने प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री पर ज्यादा टैक्स लगाने की बजाय उन्हें बंद करना शुरू किया.
- घरों, अस्पतालों और स्कूलों में कोयले के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया. लोहे और स्टील बनाने वाली कंपनियों पर नियंत्रण लगाए गए.
चीन पांच वर्षों में 35 फीसदी तक प्रदूषण कम करने में कामयाब रहा. यूएन ने भी यह बात मानी है. कभी दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में गिने जाने वाले पेइचिंग की हवा आज साफ है. वहां का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 53 है.