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केंद्र का प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, कहा - वर्क फ्रॉम होम संभव नहीं

केंद्र सराकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए 392 पेज के हलफनामे में कहा कि वो अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कराने के पक्ष में नहीं है. केंद्र की ओर से तर्क दिया गया कि कोविड के चलते ही पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है.

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Kuldeep Singh
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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई जारी है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर रहा कि शीर्ष अदालत द्वारा सुझाए गए वर्क फ्रॉम होम को लागू करने के बजाय सरकार  वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सरकारी अधिकारियों के लिए वाहन पूलिंग प्रणाली को लागू करेगा. दूसरी ओर हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि अन्य उपायों के साथ-साथ पूरे राज्य में पराली जलाने पर प्रतिबंध रहेगा. वहीं, पंजाब ने बताया कि उसने पराली जलाने वाले किसानों पर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया है.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में पंजाब की ओर से बताया गया कि राज्य में 29.61 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है. 2021 में 18.74 लाख पराली निकली. सरकार ने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों से 2.5 हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है. वहीं दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि पराली के कारण राजधानी का प्रदूषण बढ़ रहा है. इस पर पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य क्रुनेश गर्ग ने कहा कि पराली सिर्फ अक्टूबर और नवंबर में जलाई जाती है. वहीं, दिल्ली का AQI स्तर दिसंबर और जनवरी में भी उच्च पर रहता है, इसकी क्या वजह है? 

वर्क फ्रॉम होम मुमकिन नहीं 
केंद्र सराकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए 392 पेज के हलफनामे में कहा कि वो अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कराने के पक्ष में नहीं है. केंद्र की ओर से तर्क दिया गया कि कोविड के चलते ही पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है, इसलिए वर्क फ्रॉम होम मुमकिन नहीं है. 

मजदूर भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
प्रदूषण के कारण कंस्ट्रक्शन के काम को भी रोक दिया गया है. इस मामले में मजदूर भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उनका तर्क है कि कोरोना के कारण उनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही प्रभावित रही है. ऐसे में इस फैसले का उन पर सीधा असर पड़ेगा. मजदूरों को ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि प्रदूषण के लिए कंस्ट्रक्शन को ही जिम्मेदार ना माना जाए.  

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब राज्यों के साथ अपनी बैठक में AQI को नीचे लाने के लिए 10 तत्काल उपायों पर निर्णय लिया है. 

1 - एनसीआर में सभी शिक्षण संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे। केवल ऑनलाइन कक्षाओं की अनुमति है.

2 -  एनसीआर में कम से कम 50% सरकारी कर्मचारी घर से काम करेंगे और निजी प्रतिष्ठानों को भी 21 नवंबर तक ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

3 - गैर जरूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों को एनसीआर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.

4 -  दिल्ली/एनसीआर में डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध रहेगा.

5 -  रेलवे, मेट्रो हवाई अड्डे या राष्ट्रीय सुरक्षा/रक्षा संबंधी कार्यों को छोड़कर निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध होगा.

6 - सड़क पर निर्माण सामग्री को ढेर करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों/संगठनों पर भारी जुर्माना लगाना.

7 - अधिक से अधिक संख्या में वाटर स्प्रिंकलर, एंटी-स्मॉग गन तैनात करें.

8 - फ्यूल ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों को केवल तभी चलने की अनुमति होगी जब वे गैस का उपयोग करते हैं, या उन्हें बंद करने की आवश्यकता होगी.

9 - दिल्ली के 300 किमी के दायरे में 11 थर्मल प्लांटों में से 6 को 30 नवंबर तक काम करना बंद करना होगा.

10 -  10 वर्ष से अधिक (डीजल) 15 वर्ष (पेट्रोल) से अधिक का कोई वाहन सड़क पर नही आना चाहिए.

Source : News Nation Bureau

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